घर की नाराज़गी, छोटी-सी ज़िद या झगड़े से उपजी निराशा कभी-कभी बच्चों को ऐसे रास्तों पर ले जाती है, जहां मंज़िल का कोई ठिकाना नहीं होता। रायपुर रेलवे स्टेशन इन दिनों ऐसे ही भटके हुए चेहरों का गवाह बनता जा रहा है। बीते दो महीनों में स्टेशन पर ऐसे ही भटके हुए 29 नाबालिगों और 13 महिलाओं का जीआरपी ने रेस्क्यू कर उनके परिजनों तक सुरक्षित पहुंचाने का काम किया है।
रेलवे स्टेशन परिसर में संचालित चाइल्ड हेल्प डेस्क पर 24 घंटे पुलिसकर्मियों की ड्यूटी रहती है। स्टेशन पर यदि कोई बच्चा या महिला संदिग्ध स्थिति में दिखाई देती है, तो उनसे तत्काल पूछताछ की जाती है। इसके बाद भटककर आए बच्चों को उनके परिजनों के आने तक बाल आश्रय घर भेजा जाता है। बाद में उन्हें उनके परिजन के सुपुर्द किया जाता है।
केस 1- 25 जून को एक बालक अनुपपुर मध्यप्रदेश से घर वालों को बिना बताए, ट्रेन में बैठकर रायपुर आ गया था। इधर-उधर घूमते हुए बच्चे को देखकर जीआरपी को शक हुआ। इसके बाद जीआरपी ने पूछताछ की तो बच्चे ने घर से भागकर आने की बात जीआरपी को बतायी। इसके बाद जीआरपी ने उसे बाल आश्रय गृह भेजा और बाद में उसके परिजनों का पता लगाकर उनके सुपुर्द किया।
केस 2- 3 जून को एक बालक अनुपपुर, मध्यप्रदेश से शादी में शामिल होने छत्तीसगढ़ के पेंड्रा आया। वहां किसी बात से नाराज होकर वह बिना किसी को बताए रायपुर आने वाली ट्रेन में बैठ गया। कुछ घंटों का सफर कर वह रायपुर पहुंचा। स्टेशन पर जीआरपी ने उसे देखा। पूछताछ के बाद उसके परिजनों को फोन लगाकर बुलाया गया। इसके बाद उसे अपने परिजन को सौंप दिया गया।
केस 3- 31 मई को जांजगीर चांपा के एक ही परिवार के तीन बच्चे रायपुर स्टेशन पहुंचे। इनकी उम्र 11, 9 और 6 साल थी। यह तीनों बच्चे अपने माता-पिता में आए दिन होने वाले झगड़े से परेशान होकर ट्रेन में बैठ गए। ट्रेन के रायपुर स्टेशन पहुंचने के बाद यह स्टेशन पर घूमते हुए जीआरपी को मिले। यहां जीआरपी ने इनका रेस्क्यू किया। इसके बाद उनके परिजनों से बात कर उन्हें बुलाया और समझाइश देकर बच्चों को उनके सुपुर्द किया।
केस 4- 28 मई को 1 बालक व 2 बालिका जो ओडिसा से भागकर रायपुर स्टेशन पहुंचे। यहां काफी देर तक वह स्टेशन पर अकेले बैठे रहे। इसके बाद ड्यूटी पर तैनात जीआरपी के एक जवान की नजर उन पर पड़ी। जीआरपी के जवानों ने बच्चों से पूछताछ की। बच्चों ने बताया कि वह पिता की डांट से नाराज होकर घर से भागकर यहां पहुंचे हैं। इसके बाद बच्चों का रेस्क्यू कर आश्रय घर भेजा गया।
0 आए दिन माता-पिता के बीच लड़ाई
0 माता-पिता की डांट
0 घर वालों से नाराजगी
0 मोबाइल नहीं दिलाने पर
जीआरपी और चाइल्ड हेल्प डेस्क को निर्देश दिया गया है, किसी भी बच्चे व व्यक्ति पर शक होने पर उनसे पूछताछ करे। हमने पिछले दो माह में 29 बच्चे और 13 महिलाओं का रेस्क्यू कर उनके परिजन तक पहुंचाने कार्य किया है। इसमें छत्तीसगढ़, दिल्ली, एमपी, ओडिशा समेत अन्य जगहों से भी बच्चे यहां तक पहुंचे थे।
श्वेता श्रीवास्तव सिन्हा, जीआरपी एसपी
किसी भी एक कारण से बच्चे घर छोड़कर नहीं जाते। आजकल की लाइफ स्टाइल के कारण बच्चों में वेल्यू सिस्टम खत्म हो रहा है। माता-पिता को बच्चों को प्यार से समझाइश देना होगा। उन्हें हर चीज का महत्व समझाना होगा। साथ ही बच्चों के समय देना और उनकी हर बातों को समझाना जरूरी है। बच्चों को डांट की जगह प्यार से समझाएं। उनके अंदर आत्मविश्वास जगाने का प्रयास करें।
मनोज साहू मनोरोग विशेषज्ञ, आंबेडकर अस्पताल