यहां तक का सफर कैसा रहा? मैंने यहां तक का सफर तेजी से तय किया। मुझे बचपन से ही दौडऩे का शौक था। अभी तक भाग ही रहा हूं। लोग सेहत बनाने के लिए दौड़ते हैं और मैं मेडल्स के लिए भागता हूं। मेरा ये सफर कई तरह के अवार्डों से भरा है। जॉब से पहले कई बार नेशनल और स्टेट में दौड़ चुका था। अभी दो साल पहले ही एसटीएफ ज्वाइन किया, उसके बाद कई मैराथन में पार्टीसिपेट कर चुका हूं।
अभी तक में कितने मैराथन दौड़ चुके हैं? लगभग आठ नेशनल, दस-बारह स्टेट के साथ लगातार क्षेत्रीय मैराथन में हिस्सा ले रहा हूं। हाफ मैराथन रायपुर सीजन वन में सेकंड पोजीशन मिली थी उसके बाद भिलाई में बीएसएफ ग्यारह किमी. की हाफ मैराथन में विनर रहा। सितंबर में हुए अग्रसेन मैराथर में तीसरा स्थान रहा। राजिम मैराथन में भी थर्ड रहा। इस रायपुर हाफ मैराथन सीजन टू के इक्कीस किमी. दौड़ में स्टेट लेवल पर तीसरे पायदान पर रहा। इसमें मुझे एक लाख रुपए बतौर इनाम मिले।
प्रेक्टिस पर कितना वक्त देते हैं? एक विनर एथलीट बनने के लिए लगातार हार्ड प्रैक्टिस करनी पड़ती है। पिछले सात सालों से मैं हर रोज भिलाई मरोदा क्लब में कोच विनोद नायर से ट्रेनिंग ले रहा हूं। उन्होंने नेशनल इंटीट्यूट आफ स्पोर्ट से ट्रेनिंग ली है। उनके सिखाए हुए लगभग ४० से ज्यादा एथलीट नेशनल-स्टेट मैराथन में पार्टीसिपेट कर चुके हैं।
READ MORE: छत्तीसगढ़ हाफ मैराथन, दौड़ेंगे हम दौड़ेगा छत्तीसगढ़ आपकी फ्यूचर प्लानिंग क्या है? ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड लाना है। उसके पहले लगातार क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं मे हिस्सा लेता रहूंगा। इससे मेरी स्पीड और लय इंक्रीज होगी। बडे़ टूर्नामेंट में पार्टीसिपेट करने के लिए हार्ड प्रैक्टिस करनी होती है और मै पूरी तैयारी कर रहा हूं।