देश में सबसे पहले ईंटों से बना एेतिहासिक मंदिर, जिसने छत्तीसगढ़ को दिलाई दुनियाभर में पहचान
रायपुर. छत्तीसगढ़ एक ऐसी भूमि हैं जहां पर ऐतिहासिक देवालयों और ऐतिहासिकता की भरमार है। छत्तीसगढ़ में ऐसी कई जगह है जो पौराणिक है और जो पूरे देश के लोगों का मन लुभा रहें हैं । छत्तीसगढ़ की भूमि पर ऐसे कई जगह हैं जिसकी प्राकृतिक छटा और ऐतिहासिकता लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
ऐसी ही जगहों में से एक है सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर। जिसने छत्तीसगढ़ को विश्वस्तरीय पहचान दिलाई है। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध सिरपुर मंदिर का पूरा इतिहास।
सिरपुर छत्तीसगढ़ का एक ऐतिहासिक टूरिस्ट स्पॉट हैं जहां पर लोगों को पौराणिक कथाओं का भंडार और प्राकृतिक छटा दोनों का समान मात्रा में मिश्रण मिलता है। चारो ओर हरियाली के बीच बसा ये ऐतिहासिक मंदिर जहां जाते ही दिल को सुकुन मिलता है।
सिरपुर महानदी के तट पर बसा है जिसे छत्तीसगढ़ की गंगा कहा जाता है । इस ऐतिहासिक मंदिर की वास्तुकला और इसकी सांस्कृतिक विविधता के लिए यह पूरे देश में मशहुर है। सिरपुर को पहले श्रीपुर के नाम से जाना जाता था जिसे सोमवंशी शासकों के काल में दक्षिण कौशल की राजधानी बनाया गया था।
सिरपुर के इस भव्य मंदिर को छठी शताब्दी में निर्मित भारत की सबसे पहली इंटों से बनी मंदिर होने की ख्याती प्राप्त है। स्थापत्य शैली के साथ-साथ सिरपुर आध्यात्मिक ज्ञान और विज्ञान में प्रकाश डालने को भी प्रसिद्ध है।
इतिहास में दर्ज कथाओं के अनुसार, सोमवंश के राजा हर्षगुप्त की रानी ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। लगभग 7 फुट ऊंची पाषाण निर्मित जगती पर स्थित यह मंदिर अत्यंत ही भव्य है। इस मंदिर में गर्भगृह, मंडप और अंतराल से समावेश हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर विष्णु के प्रमुख अवतार विष्णु लीला के दृश्य भव्य अलंकार प्रतीक आदि का समावेश हैं।
सिरपुर महोत्सव से मिली पहचान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और सांस्कृतिक एवं पर्यटन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के पहल पर स्थानीय लोगों की मांग पर वर्ष 2006 में सिरपुर महोत्सव का आयोजन किया गया है। जिससे सिरपुर को राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
महोत्सव के बाद से यहां पर पौराणिक उत्खनन पर तेजी आई और उत्खनन के बाद यहां बहुत से पौराणिक शिवलिंग और ऐतिहासिक मूर्तियां मिली।
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