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रायपुर

Kargil Vijay Diwas 2019: छत्तीसगढ़ के इन जाबाजों ने किया था कारगिल जंग में कमाल, खबर पढ़ते ही हो जाएगा आपका सीना चौड़ा

Kargil Vijay Diwas 2019: 20 हजार जवानो में अधिकतम क्लर्क थे जिन्होंने समय आते ही कलम छोड़ बन्दुक उठाया और देश के लिए क़ुरबानी देने जंग के मैदान पहुंच गए।

रायपुरJul 26, 2019 / 06:01 pm

CG Desk

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Kargil Vijay Diwas 2019: छत्तीसगढ़ के इन जाबाजों ने किया था कारगिल जंग में कमाल, खबर पढ़ते ही हो जायेगा आपका सीना चौड़ा

रायपुर।हर वर्ष कारगिल युद्ध को याद कर शहीद हुए वीर जवानो को नमन करने के लिए 26 जुलाई को विजय दिवस मनाया जाता है। कारगिल, जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष (Kargil Vijay Diwas 20 Years) का नाम है।कारगिल वॉर को विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas 2019) के रूप में याद किया जाता है।इस संघर्ष युद्ध में 527 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे और 1300 से अधिक घायल हुए थे। इस युद्ध में छत्तीसगढ़ के वीर सपूतों ने वीरता का परिचय देते हुए हर मोर्चे पर दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे।

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कारगिल विजय दिवस स्वतंत्र भारत के लिये एक महत्वपूर्ण (Kargil Vijay Diwas 2019) दिवस है। इसे हर साल 26 जुलाई को (20th Kargil Vijay Diwas)मनाया जाता है। कारगिल युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला और 26 जुलाई को उसका अंत हुआ। इसमें भारत की विजय हुई। इस दिन कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है।
1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भी कई सैन्य संघर्ष होता रहा। दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण के कारण तनाव और बढ़ गया था। स्थिति को शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी 1999 में लाहौर में घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए। जिसमें कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का वादा किया गया था। लेकिन पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण भारत सीमा के रेखा के पार भेजने लगा और इस घुसपैठ का नाम “ऑपरेशन बद्र” (Operation Badr) रखा था।

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इसका मुख्य उद्देश्य कश्मीर (kashmir) और लद्दाख (ladakh)के बीच की कड़ी को तोड़ना और भारतीय सेना को ‘सियाचिन ग्लेशियर’ (Siachen glacier war) से हटाना था। पाकिस्तान (Pakistan) यह भी मानता है कि इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के तनाव से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने में मदद मिलेगी।
Kargil Vijay diwas
शुरुआत में इसे घुसपैठ मान लिया था और दावा किया गया कि इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर कर दिया जाएगा।इस वक्त भारत सरकार सियाचिन ग्लेशियर में बढ़ रहे खतरे को समझ नहीं प् रही थी और न ही बिना किसी सबुत के सेना सरकार को इसका प्रमाण दे पा रही थी। लेकिन नियंत्रण रेखा (Line of control) में खोज के बाद और इन घुसपैठियों के नियोजित रणनीति में अंतर का पता चलने के बाद भारतीय सेना को अहसास हो गया कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर किया गया है। इसके बाद भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय (opration Vijay) नाम से 2,00,000 सैनिकों को भेजा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ। इस युद्ध के दौरान 527 सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया।

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26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाए गए ‘ऑपरेशन विजय’ (Opration Vijay 1999) को अंजाम देकर भारत ने पाकिस्तान से विजय हासिल की थी। इसी याद में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas 20th Anniversary) मनाया जाता है।इस युद्ध में पाकिस्तान और भारत के बीच नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने कब्जा करने की कोशिश की थी।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, रायपुर, मस्तूरी और कोरबा क्षेत्र के कई जाबांज सिपाहियों ने दुश्मनों का डटकर मुकाबला कर अपने साहस का परिचय दिया था और उनकी वीरता के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने उन्हें विशेष सम्मान से पुरस्कृत किया।

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बिलासपुर शहर के दिनेश शुक्ला बताते हैं –
कारगिल युद्ध में शामिल 30 हजार सिपाहियों में कुछ क्लर्क भी थे, जिन्होंने समय आने पर बंदूक उठाई, उनमें से एक थे बिलासपुर शहर के दिनेश शुक्ला, वह कारगिल में कोर ऑफ सिग्नल में थे।उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान दिन-रात दहशत में गुजरते थे। पता नहीं रहता था कि दुश्मन कब और कहां से हमला कर दे। घुसपैठिए आधुनिक हथियारों से लैस थे।

कोरबा के जवान तोपची प्रेमचंद पांडेय बताते हैं –
कारगिल (Kargil war) के जिस जगह पर युद्ध चल रहा था, वह दुनिया का दूसरी सबसे ठंडी जगह थी, जहां रात में तो तापमान-30 से 7 डिग्री हो जाता था।पांडेय छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Solder in Kargil war ) से एकमात्र थे उनकी टुकड़ी में और उन्होंने दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया था।

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