
10 बिंदुओं में जानिए छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज का हाल
1. छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र में सोमवार को वित्तीय वर्ष 2019-20 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। इसमें सरकार ने प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 5.32 प्रतिशत वृद्घि का अनुमान दर्ज किया है। अनुमान है कि कृषि और संबद्घ क्षेत्रों 3.31 प्रतिशत, उद्योग में 4.94 और सेवा क्षेत्र में 6.62 प्रतिशत की वृद्घि होगी। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2018-19 के सकल राज्य घरेलू उत्पाद तीन लाख चार हजार तिरसठ करोड़ रुपए से बढ़कर 2019-20 में तीन लाख 29 हजार 180 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। प्रति व्यक्ति आय में भी 6.36 प्रतिशत बढ़त का अनुमान है। 2018-19 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 92 हजार 413 रुपए थी। 2019-20 में इसके 98 हजार 261 रुपए होने का अनुमान है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कल विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2020-21 का वार्षिक बजट पेश करेंगे। अनुमान है कि पहली बार मुख्य बजट की सीमा एक लाख करोड़ का आंकड़ा पार करेगी।
2. प्रदेश के विभिन्न अफसरों, कारोबारियों और ठेकेदारों पर चल रही आयकर विभाग की छापेमारी पर राज्य सरकार के रुख पर विधानसभा में सोमवार को हंगामा हुआ। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने काम रोको प्रस्ताव लाकर इसपर चर्चा की मांग की। शून्यकाल में मामला उठाते हुए भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा, 27 फरवरी से कार्यवाही चल रही है। रायपुर की यातायात पुलिस ने उन चारपहिया गाडिय़ों को जब्त कर लिया, जिनसे आयकर अफसर कार्रवाई के लिए पहुंचे थे। गाडिय़ों के ड्राइवरों को भी थाने में बिठा दिया गया। मुख्यमंत्री, संसदीय कार्यमंत्री आदि ने इस कार्रवाई को राज्य सरकार को अस्थिर करने की साजिश बता दिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने पहले दिन कार्रवाई का स्वागत किया, लेकिन दूसरे दिन उसके खिलाफ धरने पर बैठ गए। पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर ने कहा, मंत्रियों ने आयकर विभाग की कार्रवाई को रोकने की कोशिश की। इन सभी के खिलाफ सरकारी काम में बाधा का केस दर्ज होना चाहिए। सत्ता पक्ष से मंत्रियों और विधायकों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। विधायकों का कहना था, किसी ने कार्रवाई नहीं रोकी। उनकी आपत्ति सूचना नहीं दिए जाने को लेकर थी। पूर्व मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक अजीत जोगी ने कहा कि सरकार को इसमें उद्वेलित नहीं होना चाहिए। कार्रवाई अभी प्रचलन में है। पूरी होने के बाद आयकर विभाग के प्रमुख जानकारी सार्वजनिक करेंगे। जनता कांग्रेस के ही धर्मजीत सिंह ने कहा, केंद्र की कार्रवाई में सीआरपीएफ का इस्तेमाल कोई नया नहीं है। पश्चिम बंगाल में भी ऐसा हो चुका है। उन्होंने कहा, संविधानिक मर्यादाएं बिल्कुल स्पष्ट हैं। केंद्र को अपनी हद में रहना चाहिए और राज्य सरकार को अपनी हद में। एक-दूसरे के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप से किसी का भला नहीं होगा। तीखी नोकझोक के बीच विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भाजपा का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। इसको लेकर विपक्ष ने नारेबाजी शुरू कर दी। जवाब में काग्रेस विधायक भी अपनी जगह पर खड़े होकर नारे लगाने लगे। हंगामें की वजह से सदन की कार्रवाई पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
3. प्रश्नकाल में बहुजन समाज पार्टी के विधायक केशव प्रसाद चंद्रा ने धान खरीदी के समय खेत का क्षेत्रफल कम करने को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि जांजगीर-चांपा जिले में कितने किसानों के पंजीकृत रकबे में संशोधन किए गए। जवाब मेंं राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बताया, जिले में 1 लाख 73 हजार 205 किसानों का पंजीयन हुआ था। वास्तविक रकबे में अंतर की वजह से 20 हजार 254 किसानों का रकबा बाद में बदला गया। किसान हेल्पलाइन में 558 किसानों ने शिकायत की। इसके आधार पर 554 किसानों का रकबा दुरुस्त किया गया। केशव चंद्रा ने पूछा कि जिन अधिकारियों ने गलती की उनपर क्या कार्रवाई हुई। जवाब में मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा, इसमें किसी की कोई गलती नहीं है। किसी के खेत का क्षेत्रफल कम नहीं किया गया। वास्तविक सत्यापन के आधार पर संशोधन किए गए।
4. कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव ने जावंगा एजुकेशन सिटी के लिए आदिवासी किसानों के पटटे की जमीन बिना मुआवजा दिए लेने की शिकायतों की जानकारी मांगी। जवाब में राजस्व मंत्री ने बताया, गीदम के पनेड़ा गांव में 12 लोगों के वन अधिकार पटटे से मिली 10.30 हेक्टेयर जमीन का पटटा निरस्त किया गया है। यह काम जावंगा एजुकेशन सिटी के लिए हुआ था। इसमें 4 लोगों को 34 लाख रुपए का मुआवजा जिला खनिज निधि न्यास से दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इसपर सवाल उठा दिए। उन्होंने मंत्री से जानना चाहा कि क्या डीएमएफ से भू-अर्जन का मुआवजा दिया जा सकता है। मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा, उनकी जानकारी में ऐसा नहीं किया जा सकता। भाजपा विधायकों ने इस सवाल का विरोध किया। विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा, राजनीतिक कारणों से जावंगा एजुकेशन सिटी जैसे काम का विरोध किया जा रहा है। बस्तर के विधायकों के भारी दबाव के बीच राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने मामले की उच्च स्तरीय जांच की घोषणा की।
5. कांग्रेस विधायक रेखचंद जैने ने शिक्षा का अधिकार कानून की आड़ में भ्रष्टाचार का मामला उठाया। उन्होंने पूछा कि जिन निजी स्कूलों की वार्षिक फीस 3500 रुपया निर्धारित है। आरटीई के तहत उन स्कूलों को 7 हजार रुपया वार्षिक का भुगतान किया जा रहा है। स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने ऐसे मामलों की जांच और दोषियों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिया।
6. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह ने राजस्व सीमांकन के लिए महत्वपूर्ण चांदा-मुनारों के गायब हो जाने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, बिना इनके जमीन विवादों में न्याय कैसे संभव ह
Published on:
02 Mar 2020 09:42 pm
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