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रायपुर

जानिए छोटे बच्चों को गुदगुदी करना क्यों है हानिकारक?

आप भी करते हैं तो तुरंत बदल दें ये आदत

रायपुरAug 02, 2021 / 01:15 am

lalit sahu

जानिए छोटे बच्चों को गुदगुदी करना क्यों है हानिकारक?

जानिए छोटे बच्चों को गुदगुदी करना क्यों है हानिकारक?

माता-पिता के लिए अपने बच्चे की मुस्कुराहट से ज्यादा कीमती कोई दूसरी चीज नहीं होती है। ऐसे में अक्सर बच्चे के साथ खेलने या फिर उन्हें हंसाने के लिए माता-पिता गुदगुदी का सहारा लेते हैं। पर क्या आप जानते हैं अपने बच्चे के चेहरे पर एक मुस्कान लाने के लिए जो गुदगुदी आप उसे करते हैं वो उसे नुकसान तक पहुंचा सकती है। आइए जानते हैं आखिर क्यों छोटे बच्चों को गुदगुदी करना सही नहीं है।

क्या छोटे बच्चे को गुदगुदी करना सही है ?
गुदगुदी शरीर में महसूस होने वाली एक सनसनी है, जो शरीर के किसी खास अंग को छूने से हो सकती है। आम तौर पर गुदगुदी दो तरह की होती है। पहली, नाइस्मिसिस (Knismesis) अच्छा महसूस करवाने वाली और दूसरी गार्गलेसिस (Gargalesis) तेज महसूस होने वाली।

नाइस्मिसिस (Knismesis)- इस तरह की गुदगुदी के लिए माना जाता है कि कई वर्षों से मां और शिशु के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए इस तरह की गुदगुदी का सहारा लिया जाता है। इस तरह की गुदगुदी मां और बच्चे के बीच व्यवहार बनाने और बातचीत करने का भी एक जरिया हो सकती है। इस तरह की हल्की-फुल्की गुदगुदी अगर छोटे बच्चों को की जाए, तो यह उनके लिए बेहतर अनुभव हो सकता है।
गार्गलेसिस (Gargalesis) गुदगुदी को अच्छे और दर्द के अनुभव दोनों से जुड़ा हुआ पाया गया है। अगर बच्चे को बहुत ज्यादा गुदगुदी की जाए, तो यह उसके लिए नुकसानदायक हो सकती है। आइए जानते हैं गुदगुदी करने से बच्चों को होने वाले ऐसे ही कुछ नुकसान के बारे में।
डॉ. सालेहा अग्रवाल बीएचएमएस, एमडी (बाल रोग विशेषज्ञ) के अनुसार पैदा होने के 4 महीने बाद शिशु हंसना और 6 महीने बाद गुदगुदी करने पर अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू करता है। 6 महीने से कम उम्र के शिशु को गुदगुदी समझ नहीं आती है। यह उनके लिए एक स्पर्श मात्र होता है। ऐसे में माता-पिता जब शिशु को हंसाने के लिए गुदगुदी करते हैं, तो उनके भीतर पैदा असंतोष की भावना उन्हें बच्चों को और अधिक गुदगुदी करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसे में शिशु को हंसाने के लिए, माता-पिता अनजाने में ही उसके लिए दर्द या परेशानी पैदा करने लगते हैं। जिसकी वजह से बच्चा न सिर्फ असहज महसूस करता है बल्कि लंबे समय में डर का शिकार भी हो सकता है। यही कारण है कि कई बार माता-पिता अपने बच्चे के डर से नींद से जागने की शिकायत करते हैं। ऐसे बच्चे मच्छर के काटने पर भी बेहद सतर्क और सवेदंनशील बने रह सकते हैं। डॉ. सालेहा अग्रवाल सलाह देते हैं कि माता-पिता 6 महीने की उम्र से पहले बच्चे की स्पर्श संवेदना के साथ खिलवाड़ न करें। उन्हें गुदगुदी से परिचित कराने से पहले इसे विकसित होने दें। 6 महीने के बाद भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गुदगुदी परेशान करने वाली न हो, गुदगुदी हमेशा बच्चे को पसंद आने पर ही करनी चाहिए। अपने बच्चों को अपनी पसंद का शारीरिक स्पर्श थोपने के बजाय उसे खुद इस बात का चुनाव करने दें कि वो आपके साथ कैसे खेलना चाहता है।

हिचकी आना
गुदगुदी बच्चे के लिए हिचकी आने का कारण भी बन सकती है। जिसकी वजह से बच्चे को असुविधा महसूस हो सकती है, जिसे बच्चा बोलकर व्यक्त नहीं कर सकता है।

असुविधा महसूस होना
छोटे बच्चे अपनी बातों को बोलकर नहीं बता पाते हैं। ऐसे में अगर उन्हें गुदगुदी करने से कोई परेशानी हो रही होगी तो वो अपनी इस असुविधा के बारे में बड़ों को नहीं बता पाएंगे। जिसकी वजह से कई बार शिशु चिड़चिड़े होकर रोने भी लग सकते हैं।

चोट का जोखिम
शिशु को हंसाने या उन्हें अच्छा महसूस कराने के लिए घर के लोग उसे लगातार गुदगुदी करते रहते हैं। जिसकी वजह से कई बार बच्चा थका हुआ महसूस करता है। इसके अलावा, गुदगुदी के दौरान शिशु अपने अंगों को जोर से झटक सकता है। जिसकी वजह से उसके बाहरी या अंदरूनी अंगों में चोट भी लग सकती है।

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