scriptRaksha Bandhan: सालों बाद खास संयोग ; रक्षाबंधन पर 12 घंटे का शुभ मुहूर्त, लेकिन सुबह का यह समय बेहद अशुभ… | Special coincidence years later 12-hour auspicious time Rakshabandhan | Patrika News
रायपुर

Raksha Bandhan: सालों बाद खास संयोग ; रक्षाबंधन पर 12 घंटे का शुभ मुहूर्त, लेकिन सुबह का यह समय बेहद अशुभ…

भगवान शिव को सूर्योदय से सूर्यास्त तक राखी भेंट कर सकते हैं लेकिन भाई-बहन राखी का त्योहार मनाने के लिए मुहूर्त का खास ध्यान रखें।

रायपुरAug 02, 2020 / 07:58 pm

bhemendra yadav

Raksha Bandhan: सालों बाद खास संयोग ; रक्षाबंधन पर 12 घंटे का शुभ मुहूर्त, लेकिन सुबह का यह समय बेहद अशुभ...

Raksha Bandhan: सालों बाद खास संयोग ; रक्षाबंधन पर 12 घंटे का शुभ मुहूर्त, लेकिन सुबह का यह समय बेहद अशुभ…

राखी भाई बहनों के स्नेह का ऐसा त्योहार है जिसके लिए लोग पूरे साल इंतजार करते है। इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बंधकर अपने आशीर्वचनों के साथ देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु से प्रार्थना करती हैं कि उनके भाई की उम्र लंबी हो और उन्हें जीवन की हर खुशी मिले. जबकि भाई अपने बहन को उपहार में धन और वस्त्राभूषण देकर यह कामाना करते हैं कि देवी लक्ष्मी के समान उनकी बहन का घर आबाद रहे और अगर कभी बहन पर संकट आए तो बहन की रक्षा का सामर्थ्य भगवान उन्हें प्रदान करें.

भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार, 3 अगस्त को मनाया जाएगा. इस त्योहार में शुभ मुहूर्त का भी विशेष महत्व होता है. शुभ घड़ी में भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने से इंसान का भाग्योदय होता है और साथ ही रिश्तों में मधुरता आती है. आइए जानते हैं इस साल रक्षा बंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है.
रक्षा बंधन के दिन सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा. 3 अगस्त को श्रावण मास का आखिरी और पांचवां सोमवार भी है. सावन में बन रहे इस शुभ संयोग ने रक्षा सूत्र के इस पर्व को और खास बना दिया है.
ध्यान रखें कि सुबह 9 बजकर 27 मिनट तक भद्राकाल होने से बहन भाई को राखी ना बांधें. इस दिन सुबह साढ़े 7 बजे से 9 बजे तक राहुकाल रहेगा. इन दोनों के होने से रक्षा बंधन सुबह 9 बजकर 28 मिनट के बाद ही मनाना शुभ है.
श्रावण पूर्णिमा श्रवण नक्षत्र में मनाई जाती है. श्रवण नक्षत्र प्रातः 7 बजकर 18 मिनट से आरंभ होगा. इस दौरान पूर्णिमा तिथि का संयोग रात 9 बजकर 27 मिनट ही रहेगा. इसके बाद भाद्रपद कृष्ण पक्ष प्रतिपदा आरंभ हो जाएगी. यह एक शून्य तिथि मानी जाती है. इसमें राखी बांधना भी शुभ नहीं माना जाता है.
वैसे तो रक्षाबंधन की कई पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन इनमें से राजा बलि और मां लक्ष्मी की कथा का बड़ा महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार पाताल लोक में राजा बलि के यहां निवासरत देवताओं की मुक्ति के लिए माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधी थी. राजा बलि अपनी बहन लक्ष्मी जी को भेंट स्वरूप देवताओं को मुक्त करने का वचन दिया था.
हालांकि राजा बलि ने ये शर्त भी रखी कि देवताओं को साल के चार महीने इसी तरह कैद में रहना होगा. इस प्रकार समस्त देवता आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी तक पाताल लोक में निवास करते हैं. इस दौरान सांसारिक जीवन के विवाह आदि मांगलिक कार्य निषिद्ध होते हैं.

कब तक कलाई से ना खोलें राखी?
रक्षासूत्र बांधने के बाद कम से कम एक पक्ष तक इसे बांधे रखें. अगर अपने आप खुल जाए तो इसे सुरक्षित रख लें. बाद में इसे बहते जल में प्रवाहित कर दें या मिटटी में दबा दें.

रक्षा सूत्र या राखी कैसा होनी चाहिए?
रक्षासूत्र तीन धागों का होना चाहिए. लाल पीला और सफेद. अन्यथा लाल और पीला धागा तो होना ही चाहिए. रक्षासूत्र में चन्दन लगा हो तो बेहद शुभ होगा. कुछ न होने पर कलावा भी श्रद्धा पूर्वक बांध सकते हैं.

कैसे मनाएं रक्षाबंधन का त्योहार?
थाली में रोली, चन्दन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें. घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती करें. रक्षा सूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें. इसके बाद भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करवाकर बैठाएं. पहले भाई को तिलक लगाएं. रक्षा सूत्र बांधें और फिर आरती करें.

फिर मिठाई खिलाकर भाई की मंगल कामना करें. रक्षासूत्र बंधने के समय भाई तथा बहन का सर खुला नहीं होना चाहिए. रक्षा बंधवाने के बाद माता पिता और गुरु का आशीर्वाद लें तत्पश्चात बहन को सामर्थ्य के अनुसार उपहार दें. उपहार में ऐसी वस्तुएं दें जो दोनों के लिए मंगलकारी हों. काले वस्त्र या तीखा या नमकीन खाद्य न दें.

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