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कार से उतरकर दो-तीन कदम चला ही था कि श्वान ने आकर काट दिया नेहरू मेडिकल कॉलेज से ड्यूटी कर साढ़े 5 से पौने छह बजे के आसपास पैथोलॉजी लैब जा रहा था। कार पार्क कर ज्यों ही कटोरा तालाब में एक नर्सिंग होम के पास दो-तीन कदम चला ही था कि एक श्वान आया और बाएं पैर को काट दिया। कुछ समझ पाता, इससे पहले ही श्वान ने पैर में गहरा जख्म कर दिया। दाएं पैर से छुड़ाने की कोशिश करने लगा तो इस पैर को श्वान ने मजबूती से पकड़ लिया। इसमें भी गहरा जख्म हो गया। दोनों पैर से खून बहने लगा। किसी तरह चोटग्रस्त पैर से जोर से लात मारा तो श्वान भाग गया। ये सामान्य श्वान नहीं था, रैबीज वाला हो सकता है। क्योंकि सामान्य श्वान ऐसे ही अचानक नहीं काटता। वह भौंकते हुए आता है और काटता है।
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यही नहीं, आवारा श्वानों को पकड़ने के लिए रोज अभियान चलाया जा रहा है। निगम का यह दावा झूठा है, क्योंकि किसी भी मोहल्ले में डॉग कैचर की टीम नहीं दिखती। आवारा श्वानों पहले की तरह घूम रहे हैं। पैदल व बाइक पर जाने वालों पर गुर्रा रहे हैं और मौका मिलते ही काट भी रहे हैं।
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आइसोलेशन वार्ड, मरीज आते हैं तब बनाते हैं
आंबेडकर अस्पताल में हाल ही में डॉग बाइट के गंभीर मरीजों को भर्ती करने के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। पागल श्वानों के काटने के बाद जिन लोगों में इसके लक्षण दिखते हैं, ऐसे ही मरीजों को भर्ती करने की जरूरत होती है। इस बीमारी को हाइड्रोफोबिया कहा जाता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति पानी से डरता है। श्वानों की तरह पानी को पीने के बजाय चाटता है। दर्द से तड़पता है और श्वानों की तरह भौंकने भी लगता है।