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600 साल से शिव भक्ति का केंद्र है शहर, हटकेश्वर, नरहरेश्वर सबसे पुराने मंदिर

सावन सोमवार विशेष: महादेव का जलाभिषेक करने आज उमड़ेगी कांवड़ियों की भीड़

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600 साल से शिव भक्ति का केंद्र है शहर, हटकेश्वर, नरहरेश्वर सबसे पुराने मंदिर

600 साल से शिव भक्ति का केंद्र है शहर, हटकेश्वर, नरहरेश्वर सबसे पुराने मंदिर,600 साल से शिव भक्ति का केंद्र है शहर, हटकेश्वर, नरहरेश्वर सबसे पुराने मंदिर,600 साल से शिव भक्ति का केंद्र है शहर, हटकेश्वर, नरहरेश्वर सबसे पुराने मंदिर

रायपुर@पत्रिका. 2 माह के सावन का आज पहला सोमवार है। इस मौके पर शहरभर के शिवालयों में आस्था का अनोखा नजारा देखने को मिलेगा। वैसे ये भी दिलचस्प है कि शहर में शिव भक्ति का इतिहास 600 साल से ज्यादा पुराना है। इसी पर आज पत्रिका की ये विशेष रिपोर्ट...

महादेवघाट... कल्चुरि शासनकाल

में बना, 500 साल से जल रही धुनि
खारुन नदी के तट पर महादेवघाट में शहर के 2 पुराने शिवालयों में से हटकेश्वर महादेव का मंदिर है। इसका निर्माण 600 साल पहले 1402 ईसवी में कल्चुरि राजवंश के राजा ब्रह्मदेव राय के कार्यकाल में इसका निर्माण हुआ था। माना जाता है कि इन्होंने ही रायपुर शहर को भी बसाया था। मंदिर के पुजारी सुरेश गिरी बताते हैं कि यहां जो अखंड धुनि है, वह लगातार 500 सालों से जल रही है। क्षेत्रीय मान्यता के मुताबिक, उज्जैन के महाकाल के दर्शन का जो महत्व है, छत्तीसगढ़ में हटकेश्वरनाथ शिवलिंग के दर्शन का भी वही महात्म्य है।

सिद्धार्थ चौक... स्वयं भू शिवलिंग

बीमारियां लेकर पहुंचते हैं भक्त
सिद्धार्थ चौक के पास 2 तालाबों के बीच नरहरेश्वर महादेव का मंदिर है। मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग स्वयं भू है, जो तकरीबन 600 साल पुराना है। जब भोलेनाथ यहां प्रगट हुए तो ये पूरा इलाका घना जंगल था। इतिहासकारों की मानें तो 200 साल पहले तक भी यहां कम ही भक्त दर्शन के लिए आते थे। करीब 150 साल पहले यहां मंदिर का निर्माण करवाया गया। इसके बाद मंदिर की ख्याति इतनी दूर तक फैली कि आज दूर-दराज से भक्त यहां पहुंचते हैं। श्रद्धावश कई भक्त अपनी बीमारी ठीक करने महादेव से गुहार लगाने यहां पहुंचते हैं।

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सरोना... नागा साधुओं ने बनवाया,

संतान प्राप्ति के लिए आते हैं भक्त
सरोना का शिव मंदिर भी लगभग 250 साल पुराना है। यह मंदिर दो तालाबों के बीच है। इतिहासकारों का दावा है कि दोनों तालाब मंदिर के नीचे से आपस में जुड़े हैं। बताया जाता है कि 14 गांव के मालिक स्व. गुलाब सिंह ठाकुर की संतान नहीं थी। जूनागढ़ अखाड़े से आए नागा साधु ने उन्हें तालाब खुदवाने और मंदिर बनाने कहा। इससे ठाकुर को 2 पुत्र की प्राप्ति हुई। इसी मान्यता के चलते दूर-दराज से लोग यहां पुत्र प्राप्ति की कामना लेकर आते हैं।

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बूढ़ेश्वर महादेव: महाकाल की

तरह यहां भी भस्म आरती
बूढ़ातालाब के पास स्थापित बूढ़ेश्वर महादेव शिवलिंग की कहानी भी 500 साल पुरानी मानी जाती है। मिली जानकारी के मुताबिक राजा ब्रह्मदेव ने बूढ़ा तालाब खुदवाया था। इसी तालाब के पास शिवलिंग पर नाग लिपटे रहते थे। तब मंदिर बनवाकर शिवलिंग की स्थापना की गई। उज्जैन के महाकाल की तर्ज पर यहां भी हर सोमवार भगवान की भस्म आरती की जाती है। 1905 से पुष्टिकर ब्राह्मण समाज इस मंदिर का संचालन और देखरेख कर रहा है।