इस वर्ष वृत्ति आजीविका संसाधन ने ग्राम इरादाह मरदापोटी, आमाडुला एवं तारसगांव में किसानों का चयन कर तकरीबन 12 एकड़ में तरबूज की फसल का प्रदर्शन किया गया है। अच्छे किस्म के होने के कारण बाजार में अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। पहली बार आदिवासी किसानों के खेत में तरबूज की फसल लहलहा रही है।
वस्तु विषय विशेषज्ञ डॉ. आराधना ध्रुव ने बताया कि सबसे बड़ी चुनौती किसानों को नई फसल के लिए तैयार करना एवं उनके साथ अंत तक कार्य करना है। यहां देखा जा रहा है कि अभी भी किसानों के अंदर स्वामित्व बोध का अभाव है। डॉ ध्रुव ने आगे बताया कि अभी यह पहली खेप है जिसका स्थानीय बाजारों में अच्छी मांग है। इस वर्ष 14 से 15 टन प्रति एकड़ उत्पादन होने की उम्मीद है जिससे किसान को प्रति एकड़ उत्पादन लागत निकालकर 60 हजार से 80 हजार प्रति एकड़ लाभ मिलने की संभावना है।
वृत्ति आजीविका संसाधन केंद्र के स्टेट मैनेजर सतीश चंद्र मिश्रा का कहना है की संस्था किसानों के हित में लगातार काम करती रहती है चाहे फसल परिवर्तन हो या उद्यमिता।इस वर्ष पहली बार आदिवासी किसानों ने तरबूज की फसल लगाई है किसानों को उन्नत बीज के अलावा प्रशिक्षण एवं शाला समय समय पर उपलब्ध कराया गया साथ ही विपणन के लिए महानदी किसान उत्पादक कंपनी एवं गढिय़ा किसान उत्पादक कंपनी कार्य कर रही है। इसके अतिरिक्त साप्ताहिक बाजारों में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं विक्रय का कार्य कर रही हैं ।
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