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Corona Effect : 200 साल से यहां असली तोप की आवाज सुनकर लोग करते थे सेहरी और इफ्तार, टूटी परंपरा

रमज़ान के दिनों में रायसेन किले से बीते 200 सालों से सेहरी और इफ्तार के समय नवाबी तोप चलाई जाती थी। इसा बार कोरोना संकट के कारण तोप चलाए जाने पर पाबंदी लगाई गई है।

रायसेनApr 26, 2020 / 10:41 pm

Faiz

Corona Effect

Corona Effect : 200 साल से यहां असली तोप की आवाज सुनकर लोग करते थे सेहरी और इफ्तार, टूटी परंपरा

रायसेन/ कोरोना वायरस का असर सिर्फ लोगों की सेहत पर ही नहीं पड़ रहा है, इसका असर त्योहारों और परंपराओं पर भी पड़ गया है। इतिहास में जो चीजें किसी भी विपदा के आने पर नहीं रुकीं, वो इस कोरोना संकट के चलते रोकी जा रही हैं। रमज़ान का पवित्र महीना है। ऐसे में जहां विशव की हर मस्जिद में मुस्लिम धर्मावलंबी इबादत में गुजारते हैं, कोरोना संकट के चलते इस बार सभी मस्जिदें सूनी पड़ी हैं। ऐसी ही एक परंपरा रमजान के पवित्र माह में प्रदेश के रायसेन शहर में टूटी है। बता दें कि, रमजान के दिनों में रायसेन किले से बीते 200 सालों से सेहरी और इफ्तार के समय नवाबी तोप चलाई जाती थी। इसा बार कोरोना संकट के कारण तोप चलाए जाने पर पाबंदी लगाई गई है।

 

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लॉकडाउन के चलते प्रशासन ने नहीं दी अनुमति

पूरे भारत में सिर्फ रायसेन ही एक ऐसा शहर है, जहां असली तोप की आवाज सनकर शहर और और आसपास के इलाके के गांवके लोग सेहरी करते और रोजा खोलते थे। हालांकि, इसका धर्म से कोई रिश्ता नहीं है, ये सिर्फ एक शहर की परंपरा है, जो इस बार लॉकडाउन की वजह से टूट गई है। जानकारों की मानें तो बीते 200 सालों के नवाबी दौर से हर साल शहर के लोग तोप की आवाज से ही रोजा खोलते आ रहे थे। लेकिन, इस बार ये पुरानी परंपरा टूट गई है। सुबह और शाम जब इलाके में तोप की आवाज गूंजती थी, तो लोगों को सेहरी और इफ्तार की जानकारी मिलती थी। हालांकि, लॉकडाउन के चलते इस बार प्रशासन ने तोप चलाने की अनुमति नहीं दी है।

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सतर्कता के मद्देनजर नहीं दी अनुमति

करीब 200 साल पहले रमजान में रायसेन सहित आसपास के 20 गांव के रोजेदारों को समय की सूचना देने के लिए ये परंपरा शुरू हुई थी। तोप के साथ-साथ सहरी की तैयारी करने के लिए नगाड़े बजाने का क्रम भी उसी दौर में शुरू हुआ था। तोप चलाने के लिए अस्थाई लाइसेंस हर साल मुस्लिम त्यौहार कमेटी को दिया जाता है। लेकिन इस बार संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन के मद्देनजर पुलिस और प्रशासन ने कमेटी को तोप चलाने की अनुमति नहीं दी है।

 

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शहर काजी की अपील

शहर काजी जहीर उद्दीन ने जिले के सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों से सरकारी नियमों का पालन करने की अपील की है। साथ ही, इस बार समय का ध्यान रखते हुए सेहरी और इफ्तार करने की हिदायत दी है। शहर काजी ने अपील की है कि, ये वक्त अल्लाह से दुआ करने और माफी मांगने का है। उन्होंने अपील की है कि, अल्लाह से इस महामारी से हिफाज़त की पूरे विश्व के लिए दुआ करें। हमें घर में ही रहकर इबादत करें, सिर्फ 2-3 लोग ही मस्जिद में नमाज अदा करें। सिर्फ वही लोग मस्जिद में नमाज अदा करने जाएं, जिन्हें अनुमति मिली है। सरकारी निर्देशों का पालन करें।

 

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ऐसे चलती है ये प्राचीन तोप

सालों पुरानी परंपरा इस बार रायसेन में टूट गई। तोप में गोले की जगह रस्सी बम के बारूद का इस्तेमाल किया जाता है। इस तोप को चलाने के लिए जिम्मेदार लोग सुबह तीन बजे पहाड़ी पर जाते हैं, फिर सेहरी की जानकारी देकर नीचे आ जाते हैं, उसके बाद शाम को इफ्तार के समय यही जिम्मेदार तय समय पर तोप चलाकर लोगों को रोजा खोलने की जानकारी देते हैं।

 

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जिले के मौजूदा हालात

दरअसल, रायसेन में कोरोना पॉजिटिव की संख्या लगातार बढ़ रही है। रविवार शाम तक कोरोना के 2 नए केस सामने आने के बाद जिले में कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या 28 हो गई है। इनमें से 27 की हालत स्थिर है। वहीं, 1 व्यक्ति स्वस्थ हो चुका है। शहर के अब तक 4 इलाकों को कंटेनमेंट एरिया घोषित किया गया है। प्रशासन ने शहर को रेड जोन में रखते हुए टोटल लॉकडाउन किया है। ऐसे में प्रशासन कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं है, जिसके चलते इस बार कमेटी को तोप चलाने की अनुमति नहीं दी गई है।

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