हितग्राहियों ने बताया कि ग्राम पंचायत दिघावन में मनरेगा के मस्टरों की अधिकांश राशि आईसीआई बैंक के खातों में पहुंच गई है। जबकि इन खातों की जानकारी स्वयं खाता धारकों को भी नहीं है। बताया जाता है कि जब मनरेगा के माध्यम से जॉब कार्ड धारकों को ग्राम पंचायत द्वारा कराए जाने वाले निर्माण कार्यों का भुगतान किया जाना प्रारंभ हुआ था। तब पंचायत ने आईसी आईसीआईसीआई बैंक के जरिए जांब कार्ड धारकों के खाते खुलवा कर एटीएम इश्यू करवा लिए थे।
जब एक साथ प्रधानमंत्री आवास आवंटित हुए तो भवन निर्माण सामग्री मनमाने दामों पर बिकने लगी थी। हितग्राहियों ने बताया कि चार हजार रुपए दर से ईंट और दो हजार रुपए प्रति ट्रॉली से रेत एवं चार हजार रुपए की दर से गिट्टी की खरीदी की गई थी। कारीगरों के भी महंगे दाम होने के कारण निर्माण की लागत बढ़ गई थी। ऐसे में तय शुदा राशि में भवन निर्माण संभव नहीं हो पाया है।