गर्मियों में तो कई बार शहर को हलाली बांध से पानी नहीं मिला और भीषण गर्मी में लोग पानी के लिए परेशान होते रहे। बमुश्किल डेढ़ माह सुकून से बीता और फिर बीते तीन दिन से हलाली से जल सप्लाई बंद है, इस बार बांध का जल स्तर अधिक बढ़ने से बांध पर बने नपा के सप्लाई केंद्र और डीपी स्टेशन के डूबने के कारण पानी सप्लाई बंद करना पड़ी।
दरअसल इस योजना के निर्माण में भी खामियां हैं। तत्कालीन अधिकारियों की लापरवाही कहें या अदूरदर्शिता, इस योजना के आधारभूत काम ही अब परेशानी का कारण बन रहे हैं। वाटर लिफ्टिंग केंद्र तालाब में नीचाई पर बना है।
बिजली डीपी भी तालाब के नजदीक है। इसे जल स्तर बढ़ने पर बंद करना पड़ता है। हलाली बांध से शहर तक बिछाई गई पाइप लाइन बार-बार क्षतिग्रस्त होती है। इसे सुरक्षित ढंग से नहीं बिछाया गया है। दूसरी ओर जल कर अदा करने में शहर के उपभोक्ताओं की आनाकानी भी इस महत्वपूर्ण योजना के संचालन में नपा को गहरे गड्ढे में उतार रही है।
बहती गंगा में हाथ धोने की तर्ज पर नपा के कर्मचारियों के लिए यह योजना दुधारू गाय साबित हो रही है। हर माह स्टार्टर खराब होना और फिर हजारों रुपए खर्च कर उसे सुधरवाने के अलावा कई अन्य कार्य मोटे बिल वसूली का साधन बन गए हैं।
ऐसे समझें कैसे हलाल हो रही नपा-
खर्च : शहर में जल सप्लाई का प्रतिमाह का खर्च 20 लाख रुपए प्रति माह है। इसमें लगभग 15 लाख रुपए प्रतिमाह तो मात्र बिजली बिल ही आता है। इसके अलावा पांच से छह लाख रुपए महीना जल शुद्धि और मरम्मत के कार्यों पर खर्च होता है।
शहर में बीते तीन दिन से एक बूंद पानी सप्लाई नहीं किया गया है, जिससे लोग परेशान हैं। हलाली से पानी सप्लाई बंद किया गया है, लेकिन नपा ने शहर के नलकूपों से भी पानी सप्लाई नहीं किया, जिससे लोगों में खासी नाराजगी है। नपा के जिम्मेदारों के पास बहानों के आलावा कोई जवाब नहीं हैं।
– अभिषेक मालवीय, उपयंत्री एवं जल प्रभारी नपा रायसेन