Black Granite : भीलवाड़ा के करेड़ा क्षेत्र का ब्लैक ग्रेनाइट भारत ही नहीं बल्कि सात समंदर पार गुणवत्ता का डंका बजा रहा है। क्षेत्र में 200 से अधिक खदानों से निकल रहे ब्लैक ग्रेनाइट की चमक ने स्थानीय लोगों की दशा-दिशा बदल दी। सालाना करीब 2 लाख टन माल निकल रहा है, जिसकी बाजार कीमत 40 से 50 करोड़ रुपए है। ग्रेनाइट के करीब 250 खनन पट्टे हैं। कई खदानें ऊंची गुणवत्ता का पत्थर निकाल रही है। यहां से निकला पत्थर भारत के अलावा अफ्रीका के कई देशों में जाता है। साथ ही दुबई, ओमान, बांग्लादेश, चीन, वियतनाम, सिंगापुर, रोमानिया, मिश्र, इराक, ईरान आदि में भी निर्यात होता है।
व्यवसायी राजमल जैन ने बताया कि पहले ट्रैक्टर कंप्रेशर से ड्रिल कर हाफ सेट से पत्थर अलग करते थे। पत्थर कटाई में मिट्टी का तेल इस्तेमाल होता। तब कम माल बनता और मेहनत ज्यादा लगती थी। वर्ष 2009 से आधुनिक मशीनें आ गई। पत्थर पानी से कटने लगा तो कम परिश्रम से ज्यादा माल बनने लगा।
ग्रेनाइट ने बदली कई लोगों की तकदीरउप प्रधान सुखालाल गुर्जर का कहना था, ग्रेनाइट ने लोगों की तकदीर बदल दी। मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे लोगों के आज आलीशान घर बन गए। अच्छी गाड़ियां आ गई। इलाके के बच्चे अच्छे स्कूलों में जाने लगे हैं। बच्चे उच्च शिक्षा के लिए भीलवाड़ा, उदयपुर, जयपुर, कोटा के साथ अन्य प्रदेशों में पहुंच रहे हैं। क्षेत्र के दो युवा आईएएस हैं। बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियों में हैं। व्यवसायी ईश्वर गुर्जर ने बताया कि कभी यहां दूर-दूर तक पथरीली जमीन दिखती थी, लेकिन अब हालत बदल गए।
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