वह पानी स्वास्थ्य के लिए सही है भी या नहीं। इसका पैनामा नापने के लिए जिले में न तो कोई टीम है और न ही कोई विभाग की जिम्मेदारी तय की गई। यही कारण है कि पानी को सिर्फ ठंडा करके लोगों के घरों तक पहुंचाया जा रहा है। पानी देर तक ठंडा बना रहे। इसके लिए केमिकल का उपयोग भी किया जाता है।
राजगढ़ की बात करें तो यहां चार वॉटर सेंटर चल रहे है। जिनमें से दो ने पूर्व में पीएचई के माध्यम से अपने पानी की जांच कराई थी, लेकिन वह पानी कौन सा था। यह मौके से नहीं देखा गया था। इनमें चंचल और इंडियन वॉटर सेंटर शामिल है, लेकिन अन्य जगह की बात करंे तो कहीं भी इनके पानी की जांच नहीं कराई गई।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार बोतल में बंद पानी यदि लंबे समय तक पीते है तो सिरदर्द, हदय रोग, थकान और मानसिक कमजोरी आदि बढ़ती है। पानी को फिल्टर करने से पानी में बुरे तत्व के साथ ही पोषक तत्व भी खत्म हो जाते है। जो शरीर के लिए जरूरी होते है।
फैक्ट फाइल
-बड़े प्लांटों में जहां पानी की पैकिंग होती है। वहां साफ-सफाई नहीं होती।
-गर्मियों के दिनों में लगातार पानी की डिमांड के चलते टंकियां ही साफ नहीं होती।
-जो रिफिल भेजी जाती है। वह भी कभी-कभार ही थुलती है।
-वैक्टिरिया मारक लिक्विट का समय-समय पर इस्तेमाल नहीं होता।
आरओ प्लांट बिना किसी सफाई के संचालित हो रहे है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी इनका औचक निरीक्षण नहीं किया जाता। प्रशासन द्वारा भी मापदंडों का कोई ध्याल नहीं रखा जाता। इसके कारण पेट सहित अन्य बीमारियां लोगों में पनप रही है।
डॉ.राहुल विजयवर्गीय, समाजसेवी, राजगढ़
राकेश सक्सेना, पीएचई लैब प्रभारी राजगढ़
मनोज रघुवंशी, निरीक्षक खाद्य एवं औषधि विभाग राजगढ़