सेवानिवृत्त के बाद वह घर में आराम करने के बजाय छात्रों को बिना नि:शुल्क पढ़ाने लगे। साहेब लाल शिक्षा के क्षेत्र में नि:स्वार्थ भाव से गांव के बच्चों को प्रेरित कर शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे का काम कर रहे हैं। गंडई व कटंगी के कई ग्रामीण ऐसे हैं, जो अनपढ़ थे, जिन्हें अपना नाम तक लिखना नहीं आता था। उन्होंने ऐसे ग्रामीणों की पहचान कर पढ़ाना शुरू कर दिया। अब वे साक्षर हो गए हैं। साक्षर होने के बाद अपना नाम लिखने के साथ पढ़ भी लेते हैं। साहेब लाल की नौकरी 25 वर्ष की उम्र में लग गई थी। नौकरी लगने के बाद उन्होंने सबसे पहले असाक्षरों को साक्षर करने का निर्णय लिया।
सेवानिवृत्त प्रधान पाठक साहेब लाल जंघेल असाक्षरों के साथ-साथ प्राथमिक व मिडिल स्कूल के बच्चों को नैतिक शिक्षा का भी पाठ पढ़ा रहे हैं। बच्चों को नशापान, बीड़ी, सिगरेट, तबांकू, गुडाखू, शराब, गुटखा पाउच व अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले हानिकारकों को बताते आ रहे हैं। साथ ही बच्चों को इन सब से दूर रहने की सीख देते आ रहे हैं। यहीं नहीं गरीब बच्चों की पढ़ाई में सहायता करने से भी वे पीछे नहीं रहते। यदि किसी बच्चे को कापी, किताब, पेन व अन्य समाग्री की जरुरत है तो उसे खरीदकर दे देते हैं। ताकि बच्चों का मन पढ़ाई में लगा रहे। वह कहते हैं, बच्चों के बीच रहने से हर दिन नए पन का अहसास होता है। जिंदगी का आधा से अधिक समय शिक्षा व्यवस्था में व्यतीत होने के कारण पढ़ाने की आदत सी हो गई है। ग्रामीणों ने बताया कि साहेब गुरुजी बेहद सरल स्वभाव के हैं। सेवानिवृत्ति के बाद बिना कोई शुल्क लिए बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं।
सेवानिवृत्त प्रधान पाठक साहेब लाल जंघेल कहते हैं शिक्षा मनुष्य के जीवन का आधार है। समाज में शिक्षित व्यक्ति की एक अलग पहचान और स्थान होता है। इसलिए लोगों को शिक्षित होना बहुत जरुरी है। साथ ही लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी गंभीर होने की जरुरत है। पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए अधिक से अधिक संख्या में पौधारोपण करने की जरुरत है। तभी आने वाली पीढ़ी को शुद्ध ऑक्सीजन मिल पाएगी।