scriptFarmer insurance: बीमा के नाम पर ठगा जा रहा किसान, नहीं मिल पाता पूरा क्लेम | Farmer being cheated on the name of insurance can not get full claim | Patrika News
राजसमंद

Farmer insurance: बीमा के नाम पर ठगा जा रहा किसान, नहीं मिल पाता पूरा क्लेम

कम्पनी किसान से प्रीमियम लेती है एक खेत का और मुआवजा देती है पूरे ब्लॉक में हुए खराबे के अनुसार

राजसमंदNov 14, 2017 / 11:53 am

laxman singh

rajsamand news

कम्पनी किसान से प्रीमियम लेती है एक खेत का और मुआवजा देती है पूरे ब्लॉक में हुए खराबे के अनुसार

राजसमंद. फसल बीमा योजना के नियम किसानों के साथ ठगी कर रहे हैं। बीमा की प्रीमियम राशि तो किसान से प्रत्येक खेत में बोई गई अलग-अलग फसल के अनुसार एक-एक किसान से ली जाती है, लेकिन जब खराबा होता है और क्लेम देने का नम्बर आता है, तो कम्पनी पूरे उपखंड मुख्यालय के खराबे का आकलन करती है और उस हिसाब से हुए खराबे का क्लेम महीनों बाद किसान को चुकाती है। ऐसे में कई बार खंड बारिश और अन्य कारणों से पूरे ब्लॉक में नुकसान नहीं होता और खेत का बीमा होने के बाद भी किसान को कम्पनी कोई क्लेम नहीं देती।
नहीं मिल पाता पूरा क्लेम
बीमा कम्पनी अलग-अलग फसलों पर बीमे का क्लेम पास करती हैं, जिसमें मक्का की फसल 90 फीसदी खराब होने पर 17230 रुपए प्रति हैक्टेयर की दर से, ज्वार में 80फीसदी पर 21401 रुपए, ग्वार में 90 फीसदी पर 16670 रुपए, कपास में80फीसदी पर 68807रुपए प्रति हैक्टेयर की दर से क्लेम देती हैं। खराबे का आकलन ब्लॉक स्तर पर होने से ज्यादातर खराबे का प्रतिशत 50 से 60 फीसदी पर ही सिमट कर रह जाता है, जिससे बीमा धारक किसान की पूरी फसल खराब होने पर भी उसे मामूली क्लेम राशि ही मिलती है।
इसे ऐसे समझें
जैसे एक ब्लॉक में ६ हजार हैक्टेयर भूमि पर खेती हुई और खंड बारिश 6 हजार हैक्टयर पर हुई। तीन हजार हैक्टेयर की फसल सतप्रतिशत खराब हो गई और 3 हजार हैक्टेयर पर कोई खराबी नहीं आई। अब कम्पनी औसत खराबा 50 फीसदी मानती है और खराबे वाले किसानों को महज 50 प्रतिशत खराबे का क्लेम ही देगी।

राजसमंद में वर्ष में औसत 5० हजार होते हैं बीमें
राजसमंद जिले में रबी और खरीफ की दोनों प्रमुख फसलों में औसत 36हजार बीमें होते हैं। यहां खरीफ 2017 में 29331 किसानों ने बीमा करवाया जबकि वर्ष 2016 खरीफ में 29074, तथा रबी में 18 76 6 किसानों ने बीमा करवाया।
कपास की सबसे ज्यादा प्रीमियम राशि
जिले में बोई जाने वाली अधिकतर फसलों की प्रीमियम राशि दो प्रतिशत होती है। लेकिन कपास की प्रीमियम राशि ५ प्रतिशत है। जिसके तहत मक्का की प्रीमियम दर ३४५ रुपए प्रति हैक्टेयर, ज्वार की ४२८ रुपए वहीं कपास की ३४४० रुपए प्रति हैक्टेयर ली जाती है।
महीनों बाद मिलता है क्लेम
फसलों में खराबा होने पर पहले पूरे क्षेत्र की गिरदावरी होती है, उसके बाद प्रशासन रिपोर्ट तैयार करवाता है। इसके कई महीनों बाद बीमा कम्पनी किसान को क्लेम की राशि देती है। पिछले वर्ष भी यहां करीब आठ माह बाद किसानों को क्लेम राशि का भुगतान हुआ था। ऐसे में फसल खराबे की मार से आहत किसानों के पास अगली फसल बोने के लिए लागत राशि नहीं होती है, जिससे कई बार उनके खेत खाली ही पड़े रह जाते हैं।
नियम में यही है…
&बीमा कम्पनी ब्लॉक स्तर पर ही खराबे का क्लेम औसत निकाल कर तय करती है। अब उनके नियम में यही है, हालांकि जिले में अभीतक बीमा कम्पनी ने नियमानुसार भुगतान किए हैं।
रविंद्र कुमार वर्मा,
उपनिदेशक कृषि,
राजसमंद

Home / Rajsamand / Farmer insurance: बीमा के नाम पर ठगा जा रहा किसान, नहीं मिल पाता पूरा क्लेम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो