मेरा मानना है कि यदि हम गांवों में सुलभ कच्चे माल की उपलब्धता के अनुसार कुटीर उद्योगों में युवाओं को रोजगार सुलभ करवाएं, उन्हें आत्मनिर्भर बनने को प्रेरित करें तो बेहतर होगा। हम पांच दशकों से ऐसा कर रहे हैं। अभी भी हम देवगढ़ में ग्रामोद्योग विकास मंडल के जरिए हजारों लोगों को रोजगार दे रहे हैं। क्षेत्र में कपास प्रचुर मात्रा में होती है, अत: हम महिलाओं को सूत बनाने में प्राथमिकता देते हैं, जिसके लिए हम १५ हजार की कीमत का अम्बर चरखा भी सुलभ करवाते हैं। इससे महिलाएं घर बैठे आठ घंटे काम करते हुए ३०० रुपए तक कमा सकती है। खादी के लिहाज से मेवाड़ का अपना नाम रहा है। इसके अलावा मेहन्दी के कोण, पापड़-बड़ी का काम भी अच्छा चल रहा है। कई कामकाज हैं, जिनसे युवाओं व महिलाओं को जोड़ा जा सकता है। जरूरत युवाओं को प्रेरित करने व बैंकों से मिलने वाले ऋण की प्रक्रिया के सरलीकरण की है। युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का इससे बेहतर कोई रास्ता नहीं हो सकता। इसके लिए सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए गांव-गांव में विभिन्न कौशल प्रशिक्षण केन्द्र शुरू किए जा सकते हैं। बहुत रास्ते हैं, जरूरत सभी पक्षों को जागरुक होने की है।
– जीतमल कच्छारा, अध्यक्ष- ग्रामोद्योग विकास मंडल देवगढ़ तथा पूर्व उपनिदेशक, जिला उद्योग केन्द्र
कोरोना महामारी के समय में अर्थव्यवस्था में चुनौतियों के साथ-साथ नवीन अवसर भी सृजित हो रहे हैं। प्रवासी श्रमिकों के पलायन से उत्पन्न संकट का सामना करने के लिए स्थानीय स्तर पर उन्हें प्रशिक्षित करने, ऑनलाइन मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध कराने तथा गुणवत्तापूर्ण स्थानीय ब्रांड स्थापित करने की महती आवश्यकता है। पोस्ट कोरोना पीरियड में सेहत एवं स्वच्छता के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ेगी, जिससे ऑर्गेनिक फार्मिंग उत्पादों की मांग में इजाफा होगा। अत: कृषि क्षेत्र में ऑर्गेनिक पदार्थों के इस्तेमाल से नवीन रोजगार उत्पन्न किया जा सकता है। इससे हजारों युवाओं को काम देना संभव होगा।
– सहीराम, महाप्रबंधक-जिला उद्योग केन्द्र