1800 रुपए कीमत थी दुकान की
दुकानदारों ने बताया लक्ष्मी बाजार को बस्ती से दूर बसाया गया था। यहां पर एक दुकान की कीमत करीब 1800 रुपए थी। आज स्थिति यह है कि लक्ष्मी बाजार के आस-पास कई दुकानें खुल गई है। इसके आस-पास ही तहसील कार्यालय, नगरपालिका कार्यालय, पुलिस थाना, पंचायत समिति कार्यालय आदि बन गए हैं।
कच्चा माल लाते, बनवाते थे रेडिमेड कपड़े
यहां पर अहमदाबाद, सूरत, मुंबई से कपड़े का आयात होता था। व्यापारी एवं स्थानीय लोग कपड़े तैयार करवाते थे। सर्वाधिक स्कूल की ड्रेस, शर्ट, पेंट, हाफ्पेंट, छोटे बच्चों के कपड़े, महिलाओं की ओढऩी, घाघरा सहित कई रेडिमेड कपड़े तैयार करवाए जाते थे। व्यापारी भीलवाड़ा, उदयपुर, चित्तौडगढ़़, अकोला, मारवाड़ जंक्शन, जावद, ब्यावर तक कपड़े बेचने जाते थे। इसके कारण ही आमेट का लक्ष्मी बाजार कपड़े की मंडी के नाम से विख्यात हुआ था।
तत्कालीन गृहमंत्री ने किया था लोकार्पण
लक्ष्मी बाजार का करीब दस साल बाद 1968 में राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री हरि भाई उपाध्याय ने इसका लोकार्पण किया था। उस समय लक्ष्मी बाजार की ज्यादातर दुकानें खाली थी, क्योंकि लक्ष्मी बाजार आमेट नगर की बस्ती के बाहर बनाया गया था।