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राजस्थान के इस कस्बे में बरसती है लक्ष्मी…पढ़े पूरी खबर

मेवाड़ का एक मात्र कपड़े का बाजार जहां 156 कपड़े की दुकानें थी जो अब बढकऱ हो गई 216
कई शहरों से कपड़ा लाकर यहां पर बनती थी स्कूल ड्रेस एवं अन्य रेडिमेड कपड़े

राजसमंदMay 24, 2024 / 11:07 am

himanshu dhawal

आमेट के लक्ष्मी बाजार में लगी कपड़ों की दुकानें।

आमेट. राजसमंद जिले के आमेट कस्बे में स्थित लक्ष्मी बाजार में आज भी लक्ष्मी बरस रही है। यहां का लक्ष्मी बाजार मेवाड़ का एक मात्र सबसे बड़ा कपड़े का मार्केट था। अहमदाबाद, मुम्बई और सूरत से कपड़ा लाकर स्थानीय लोगों से रेडिमेड कपड़े तैयार करवाए जाते थे। यहां तैयार कपड़े एमपी, अकोला, चितौड़, मारवाड तक बिक्री के लिए जाते थे। लक्ष्मी बाजार में 156 कपड़े की दुकानें थी, जो अब 216 के करीब हो गई है। आमेट के लक्ष्मी बाजार की स्थापना गृह निर्माण सहकार समिति ने 1955-56 में की थी। इस बाजार का निर्माण जयपुर के बाजार की तर्ज पर करवाया गया था। यहां डेढ़ सौ से अधिक दुकानें बरामदे व 12 फीट चौड़े फुटपाथ बनवाए गए थे। इसमें सभी दुकानें कपड़े की थी। लक्ष्मी बाजार की शुरुआत के समय ट्रांसपोर्ट एवं रेलगाड़ी के माध्यम से मुंबई, अहमदाबाद आदि शहरों से कपड़े का आयत होता था। व्यापारी यहां पर स्थानीय लोगों से रेडिमेड कपड़े तैयार करवाते थे। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने के साथ व्यापार को भी बढ़ावा मिलता था। वर्तमान में लक्ष्मी बाजार में 216 दुकानें हैं। इसमें 60 दुकानें सर्राफा व्यापारियों की है। रेडीमेड कपड़ों की, शादी विवाह के सामान, मनिहारी आदि की दुकानें है।

1800 रुपए कीमत थी दुकान की

दुकानदारों ने बताया लक्ष्मी बाजार को बस्ती से दूर बसाया गया था। यहां पर एक दुकान की कीमत करीब 1800 रुपए थी। आज स्थिति यह है कि लक्ष्मी बाजार के आस-पास कई दुकानें खुल गई है। इसके आस-पास ही तहसील कार्यालय, नगरपालिका कार्यालय, पुलिस थाना, पंचायत समिति कार्यालय आदि बन गए हैं।

कच्चा माल लाते, बनवाते थे रेडिमेड कपड़े

यहां पर अहमदाबाद, सूरत, मुंबई से कपड़े का आयात होता था। व्यापारी एवं स्थानीय लोग कपड़े तैयार करवाते थे। सर्वाधिक स्कूल की ड्रेस, शर्ट, पेंट, हाफ्पेंट, छोटे बच्चों के कपड़े, महिलाओं की ओढऩी, घाघरा सहित कई रेडिमेड कपड़े तैयार करवाए जाते थे। व्यापारी भीलवाड़ा, उदयपुर, चित्तौडगढ़़, अकोला, मारवाड़ जंक्शन, जावद, ब्यावर तक कपड़े बेचने जाते थे। इसके कारण ही आमेट का लक्ष्मी बाजार कपड़े की मंडी के नाम से विख्यात हुआ था।

तत्कालीन गृहमंत्री ने किया था लोकार्पण

लक्ष्मी बाजार का करीब दस साल बाद 1968 में राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री हरि भाई उपाध्याय ने इसका लोकार्पण किया था। उस समय लक्ष्मी बाजार की ज्यादातर दुकानें खाली थी, क्योंकि लक्ष्मी बाजार आमेट नगर की बस्ती के बाहर बनाया गया था।
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