यह भी पढे़ं – आयकर विभाग में बदल गए नियम, नए रुल्स लागू बता दे कि झाबुआ में देशी नस्ल के मुर्गे को कड़कनाथ कहा जाता है। इसको देश के साथ विदेश में भी स्वाद लेकर के साथ खाया जाता है। देशभर में जिस तरह रतलाम की छाप लगे सोने को प्रसिद्ध व शुद्ध माना जाता है उसी तरह झाबुआ के कड़कनाथ की पहचान अपने विशिष्ट स्वाद को लेकर है। अब इसी को लेकर आवाज सांसद डामोर ने उठाई है।
यह भी पढे़ं – तीन माह पहले हो गया रेलवे का ये काम, अब यात्रियों को मिलेगी ये बड़ी सुविधा ये लिखा है सांसद ने इस बारे में सांसद डामोर ने मुख्यमंत्री नाथ को एक पत्र भी लिखा है। इसमे इस बात का उल्लेख किया है कि रतलाम की सेव, मालवा निमाण के दाल बाफले, मुरैना की गजक, भिंड के पेडे़, बुंदेलखंड की मावा जलेबी, चंदेरी की साड़ी के साथ बाग की पिं्रट के प्रमोशन करने का निर्णय लिया गया है। इस पर कोई आपत्ती नहीं है, लेकिन उनके क्षेत्र में झाबुआ के कड़कनाथ, अलीराजपुर की पिथौरीकला, झाबुआ-अलीराजपुर के दाल पानिए की उपेक्षा की गई है, जबकि ये देश व विदेश में प्रसिद्ध है। इनकी ब्राडिंग व प्रमोशन करने का निर्णय लिया जाए, जिससे स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिले। हालांकि इस पत्र के बाद अब तक कोई जवाब सीएम नाथ के कार्यालय से नहीं आया है। इस बारे में सांसद डामोर का कहना है कि कड़कनाथ की ब्राडिंग व प्रमोशन होने से लाभ होगा।