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रतलाम

health जलवायु परिवर्तन: प्रदूषित हवा मानव स्वास्थ्य पर खतरा

रतलाम। वायु प्रदूषण हवा में ठोस कणों तरल बिन्दु या गैस के रूप में मौजूद कणों के कारण होता है। ये प्राकृतिक या कृत्रिम हो सकते हैं। अति सूक्ष्म कण नासिका या मुंह की ओर से श्वसन के दौरान फेफडों तक पहुंचते हैं। जहां से रक्त की धमनियों में प्रवेश कर शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचते हैं तथा दिल फेफडे दिमाग आदि को हानि पहुंचाते हैं।

रतलामFeb 12, 2024 / 10:08 pm

Gourishankar Jodha

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यहा बात एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव बोरीवाल ने जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम की जिला स्तरीय कार्यशाला में कही। कार्यक्रम कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। डॉ. बोरीवाल ने बताया कि जलवायु परिवर्तन से अस्थमा एवं श्वसन संबंधी बीमारियां कैंसर कार्डियोवास्कुलर बीमारियां स्ट्रोक खाद्य जनित बीमारियां मानसिक स्वास्थ्य एवं स्ट्रेस संबंधी बीमारियां न्यूरोलॉजिकल बीमारियां झूनोटिक बीमारियां जलजनित बीमारियां मौसम संबंधी बीमारियां एवं मृत्यु के प्रकरण परिलक्षित हो रहे हैं।
घरों के दरवाजे व खिडक़ी सुबह शाम बंद रखें


प्रभारी सीएमएचओ डॉ. वर्षा कुरील ने बताया कि प्रदूषित हवा मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है, इससे बचाव के लिए ज्यादा प्रदूषित जगहों पर ना जाएं। घरों के दरवाजे व खिडक़ी सुबह शाम बंद रखें । जरूरत पडऩे पर ही घर से बाहर निकलें। ऑंखों में जलन, सांस की तकलीफ या खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाऐं । दिल फेफडें व अन्य गंभीर बीमारी के मरीज का विशेष ध्यान रखें। पटाखे, कूडा, पत्तियां आदि ना जलाऐं । प्लास्टिक बिल्कुल ना जलाऐं । बीडी सिगरेट का प्रयोग ना करें और दूसरों को ना करने दें । खाना पकाने एवं घर को गर्म करने के लिए धुंआरहित ईंधन का प्रयोग करें। हरियाली रखें अधिक से अधिक पौधरोपण करें, यथासंभव घर में किचन गार्डन बनाऐं।
ये रहे उपस्थित


कलेक्टर ने सभी विभागीय अधिकरियों को जलवायु परिवर्तन के खतरों की जानकारी का प्रचार प्रसार करने एवं विभागीय स्तर पर यथोचित प्रयास करने को कहा है । बैठक के दौरान सीईओ जिला पंचायत अमन वैष्णव, एडीएम शालिनी श्रीवास्तव, एडीएम राधेश्याम मंडलोई एवं समस्त एसडीएम पीएचई , स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग आदि के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
इन्हे रखना होगा अधिक ध्यान


वायु प्रदूषण से उच्च जोखिम वर्ग के लोग 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्ग, 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाऐं , श्वांस एवं हृदय संबंधी बीमारी के मरीज अधिक वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में कार्यरत यातायात कर्मी, पुलिसकर्मी, मजदूर सफाईकर्मी, आटोरिक्शा चालक, सडक़ किनारे दुकानदार ठेलेवाले आदि हैं।

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