रतलाम

दिवाली 2019 की अमावस्या पर ऐसे करें पितृ दोष शांति

Kartik Amavsya 2019 : श्राद्ध के समय अगर आप पितृ दोष का उपाय करने से चुक गए है तो ये खबर आपके लिए ही है। दिवाली 2019 को कार्तिक अमावस्या के दिन भी आसानी से पितृ दोष का उपाय किया जा सकता है। यहां पढे़ं विधि, लक्षण आदि विस्तार से।

रतलामOct 04, 2019 / 02:01 pm

Ashish Pathak

how Pitra Dosha peace be done on the day of Diwali 2019


रतलाम। श्राद्ध के समय अगर आप पितृ दोष का उपाय करने से चुक गए है तो ये खबर आपके लिए ही है। दिवाली 2019 को कार्तिक अमावस्या के दिन भी आसानी से पितृ दोष का उपाय किया जा सकता है। यहां पढे़ं विधि, लक्षण आदि विस्तार से। ये बात उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषी दयानन्द शास्त्री ने कही। वे रतलाम में भक्तों को दिवाली 2019 को होने वाली कार्तिक अमावस्या की रात पितृ दोष के लक्षण व उपाय के बारे में बता रहे थे।
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ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की काल सर्प दोष से पीडि़त लोगों के लिये अमावस्‍या के दिन पूजन करना उत्‍तम माना जाता है। अमावस्‍या को पूजा करने से कालसर्प दोष का निवारण होता है। इस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है। रात्रि में हर ओर अंधकार छाया रहता है। अमावस्‍या के दिन किये गये उपायों से दुर्भाग्‍य सौभाग्‍य में बदल जाता है। इस दिन का ज्‍योतिष एवं तंत्र शास्‍त्र में अत्‍यधिक महत्‍व है। तंत्र शास्‍त्र की माने तो अमावस्‍या के दिन किये गये उपाय बहुत प्रभावशाली होते हैं। जिनका फल अतशीघ्र प्राप्‍त होता हे।
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कालसर्प दोष, पितृ दोष या किसी भी ग्रह की अशुभता को दूर करना हो तो अमावस्‍या के दिन पूजन करना सर्वोत्‍तम माना गया है। अमावस्‍या के दिन शनि देव पर कड़वा तेल, काले उड़द, काले तिल, लोहा, काला कपड़ा, नीला पुष्‍प चड़ा कर शनि मंत्रा का जाप करना चाहिये। हर अमावस्‍या को पीपल के पेड़ के नीचे कड़वे तेल का दिया जलाने से भी पितृ और देवता प्रसन्‍न होते हैं।
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ये उपाय है काफी आसान

– अमावस्या के दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करें।
– अमावस्या के दिन पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें।

– मंत्र ऊं पितृभ्य: नम: का जाप करें।
– पितृसूक्त या पितृस्तोत्र का पाठ करें।

– पितृ दोष दूर करने के लिए ब्राह्मणों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दिवंगत की पसंदीदा मिठाई तथा दक्षिणा सहितभोजन कराना चाहिए। इससे जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
– अमावस्या के दिन ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर ऊं पितृभ्य: नम: का बीज मंत्र पढ़ते हुए सूर्य देव को 3 बार अर्घ्य दें।

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पितृ दोष के कारण

1. संतान विहीन होना।

2. बार-बार गर्भपात होना।

3. परिवार में कलह।

4. परिवार में सेहत संबंधी समस्याएं।

5. बिना किसी कारण पढ़ाई और व्यापार में बाधाएं उत्पन्न होना।
6. शादी न हो पाना।

7. नशे की लत।

8. मानसिक रूप से अस्वस्थ बच्चे का जन्म।

9. छोटे बच्चे की मृत्यु आदि।

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pitra dosh
ये होते हैं पितृ दोष के लक्षण
– घर में पितृ दोष होगा तो घर के बच्चे की शिक्षा, दिमाग, बाल व्यवहार पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता ।
– जिन जातकों को पितृ दोष होता है उनके लिए इस दिन का बहुत महत्व है। बहुत से कारण होते है की हमारे अपने पितरों से सम्बन्ध अच्छे नहीं हो पाते। इसके वजह से जीवन में रुकावटें परेशानियां होती है। इसीलिए इस दिन की गयी पूजा आपको लाभ पंहुचा सकती है ।
– पितृ दोष कही न कही अनेको दोषों को उत्पन्न करने वाला होता है जैसे की वंश न बढऩे का दोष , असफलता मिलने का दोष , बाधा दोष और भी बहुत कुछ । तो इन दिनों में की गयी पूजा और तर्पण अगर विधि विधान और मन लगाकर किया जाए तो अच्छे फल देने वाली सिद्ध होती है ।
– इससे सिर के बाल पर सबसे पहले प्रभाव पड़ता है। जैसे की समय से पहले बालों का सफ़ेद हो जाना। सिर के बीच के हिस्से से बालों का कम होना। हर कार्य में नाकामी हाथ लगाना। घर में हमेशा कलह रहना। इसके अलावा बीमारी घर के सदस्यों को चाहे छोटी हो या बड़ी घेरे रखती है। यह सब लक्षण पितृ दोष घर में है इसको बताते है। अगर घर में पितृ दोष है तो किसी भी सदस्य को सफलता आसानी से हाथ नहीं लगती ।
– पितृ दोष कुंडली में है तो कुंडली के अच्छे गृह उतना अच्छा फल नहीं देते जितना उन्हें देना चाहिए।

– घर के सभी लोग आपस में झगड़ते है। घर के बच्चों के विवाह देरी से होते है। अनेक प्रकार की दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। विवाह करने में बाधा होती है। घर में धन ना के बराबर रुकेगा अगर पितृ दोष हावी है तो बीमारी या फिर कजऱ़् देने में धन चला जायेगा। जुडा हुआ धन पुरानी चीजे ठीक कराने में धन निकल जायेगा पर रकेगा नहीं ।
– परिवार की मान और प्रतिष्ठा में गिरावट आती है। पितृ दोष के कारण घर में पेड़-पौधे या फिर जानवर नहीं पनप पाते। घर में शाम आते आते अजीब सा सूनापन हो जायेगा जैसे की उदासी भरा माहौल, घर का कोई हिसा बनते बनते रह जायेगा या फिर बने हुए हिस्से में टू
ट-फुट होगी, उस हिस्से में दरारे आ जाती है।
– घर का मुखिया बीमार रहता है। रसोई घर के करीब वाली दीवारों में दरार आ जाते है। जिस घर में पितृ दोष हावी होता है उस घर से कभी भी मेहमान संतुष्ट होकर नहीं जायेंगे चाहे आप कुछ भी क्यूं न कर ले या फिर कितनी ही खातिरदारी कर ले। मेहमान हमेशा नुक्स निकाल कर रख देंगे यानी की मोटे तौर पर आपकी इज्ज़त नहीं करेंगे।
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– घर में चीजे और साधन होते हुए भी घर के लोग खुश नहीं रहते। जब पैसे की जरुरत पड़ती है तो पैसा मिल नहीं पाता। ऐसे घर के बच्चों को उनकी नौकरी या फिर कारोबार में स्थायित्व लम्बे समय बाद ही हो पाता है। बच्चा तेज़ होते हुए भी कुछ जल्दी से हासिल नहीं कर पायेगा ऐसी परिस्थितियां हो जायेंगी।
– जिस घर में पितृ दोष होता है उस घर में भाई-बहन में मन-मुटाव रहता ही रहता है। कभी कभी तो परिस्थितियां ऐसी हो जाती है की कोई एक दूसरे की शकल तक देखना पसंद नहीं करता। पति-पानी में बिना बात के झगडा होना भी ऐसे घर में स्वाभाविक है जिस घर में पितृ दोष हो।
– ऐसे घर के लोग जब एक दूसरे के साथ रहेंगे तो हमेशा कलेश करके रखेंगे परन्तु जैसे ही एक दुसरे से दूर जायेंगे तो प्रेम से बात करेंगे।

– घर में स्त्रियों के साथ दुराचार करना, उन्हें नीचा दिखाना, उनका सम्मान न करने से शुक्र गृह बहुत बुरा फल देता है। जिसका असर आने वाली पीडियों तक रहता है। अर्थात शुक्र गृह भी पितृ दोष लगाता है कुंडली में।
– जिस घर में विनम्र रहने वाले व्यक्ति का अपमान होता है वह घर पितृ दोष से पीडि़त होगा। इसके साथ में जो लोग कमजोर व्यक्ति का अपमान करेंगे वह भी पितृ दोष से प्रभावित होंगे।
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष से मुक्ति पाने के उपाय


– शनिवार के दिन सूर्योदय से पूर्व कच्चा दूध तथा काले तिल नियमित रूप से पीतल के वृक्ष पर चढ़ाएं। पितृ दोष दूर हो जाएगा।
– सोमवार के दिन आक के 21 फूलों से भगवान शिव जी की पूजा करने से भी पितृ दोष का निवारण हो जाता है।

– अपने वंशजों से चांदी लेकर नदी में प्रवाहित करने तथा माता को सम्मान देने से परिजन दोष का समापन होता है।
– परिवार के प्रत्येक सदस्य से धन एकत्र करके दान में देने तथा घर के निकट स्थित पीपल के पेड़ की श्रद्धापूर्वक देखभाल करने से गुरु दोष से छुटकारा मिलता है।

– पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में विधिवत इमली का बांदा लाकर घर में रखने से पितृ दोष दूर होते हैं।
– अपने इष्टदेव की नियमित रूप से पूजा-पाठ करने तथा कुत्ते को भोजन कराने से प्रभु दोष का समापन होता है।

– हनुमान जी की पूजा करने तथा बंदरों को चने और केले खाने को दें। भ्राता दोष से मुक्ति मिल जाएगी।
– ब्रह्मा गायत्री का जप अनुष्ठान कराने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।

– घर की बड़ी-बूढ़ी स्त्री का नित्य चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लें। मातृ दोष दूर हो जाएगा।
– उत्तराफाल्गुनी, उत्तराभाद्रपद या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में ताड़ के वृक्ष की जड़ को घर ले आएं। उसे किसी पवित्र स्थान पर स्थापित करने से पितृ दोष दूर होता है।
– प्रत्येक मास की अमावस्या को अंधेरा होने पर बबूल के वृक्ष के नीचे भोजन खाने से पितृ दोष नष्ट हो जाता है।


– प्रतिदिन देशी फिटकरी से दांत साफ करने से भगिनी दोष समाप्त हो जाता है।
– किसी धर्मस्थान की सफाई आदि करके वहां पूजन करें। प्रभु ऋण से छुटकारा मिल जाएगा।

– वर्ष में एक बार किसी व्यक्ति को अमावस्या के दिन भोजन कराने, दक्षिणा एवं वस्त्र देने से ब्राह्मïण दोष का निवारण होता है।
– अमावस्या के दिन घर में बने भोजन का भोग पितरों को लगाने तथा पितरों के नाम से ब्राह्मïण को भोजन कराने से पितृ दोष दूर हो जाते हैं।

– यदि छोटा बच्चा पितृ हो तो एकादशी या अमावस्या के दिन किसी बच्चे को दूध पिलाएं तथा मावे की बर्फी खिलाएं।
– श्राद्ध पक्ष में प्रतिदिन पितरों को जल और काले तिल अर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं तथा पितृ दोष दूर होता है।

– सात मंगलवार तथा शनिवार को जावित्री और केसर की धूप घर में देने से रुष्ट पितृ के प्रसन्न होने से पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है।

– प्रतिदिन प्रात काल सूर्योदय से पूर्व उठकर सूर्यदेव को नमस्कार करके यज्ञ करने से पितृ दोष से छुटकारा मिल जाता है।

– नाक-कान छिदवाने से भागिनी दोष का निवारण होता है।

– देशी गाय के गोबर का कंडा जलाकर उसमें नित्य काले तिल, जौ, राल, देशी कपूर और घी की धूनी देने से पितृ दोष का समापन हो जाता है।
-भगवान विष्णु की पूजा करने से भी पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। माना जाता है कि मरने के बाद सभी आत्माएं परम-शक्ति यानी भगवान विष्षु में विलीन हो जाती हैं और आत्मा-परमात्मा के इसी मिलन को मुक्ति कहा जाता है।
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