Diwali 2019: दिवाली या दीपावली क्यों मनाई जाती है इसको लेकर चार अलग-अलग कहानियां है। देश में जिस तरह से वैचारिक प्रदुषण बढ़ रहा है तब ये जरूरी है कि हम घर में बच्चों को दीपावली या दिवाली से जुड़ी हर उस कहानी को जरूर बताएं, जिस वजह से ये त्यौहार मनाया जाता है।
Diwali 2019 : What is the story behind Diwali
रतलाम। Diwali 2019 : भारत सहित दुनिया भर में हिन्दू धर्म को मानने वाले दिवाली या दीपावली इस खुशी में मनाते हैं कि इसी दिन अयोध्या के राजा दशपथ पुत्र भगवान राम लंका के राजा रावण का वध करके अपनी पत्नी सीतामाता को छुड़ाकर अयोध्या लौटे थे। रावण का वध यानी विजयादशमी या दशहरा पर्व मनाया जाता है। दिवाली या दीपावली क्यों मनाई जाती है इसको लेकर चार अलग-अलग कहानियां है। देश में जिस तरह से वैचारिक प्रदुषण बढ़ रहा है तब ये जरूरी है कि हम घर में बच्चों को दीपावली या दिवाली से जुड़ी हर उस कहानी को जरूर बताएं, जिस वजह से ये त्यौहार मनाया जाता है। ये बात रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी एनके आनंद ने कही।
Must Read: ये दीपावली से ऐसा होगा आपकी राशि में असरदीए जलाकर उत्सव मनाया ज्योतिषी एनके आनंद ने कहा कि दिवाली की कहानी हम सब यही मानते हैं और जानते हैं कि विजयादशमी के दिन रावण का वध करने के बाद भगवान राम 14 साल का बनवास काटकर अयोध्या लौटे थे और उनकी वापसी की खुशी में लोगों ने दीए जलाकर उत्सव मनाया था जिसे हिन्दू धर्म के लोग आज भी दिवाली या दीपावली के तौर पर मना रहे हैं।
Must Read: नवरात्रि व दीपावली के समय कई ट्रेन रहेगी कैंसल, यहां पढे़ं पूरी लिस्ट पुष्पक विमान से वे अयोध्या आए ज्योतिषी एनके आनंद ने कहा कि माना जाता है कि लंका में जहां माता सीता को रखा था वहां से भगवान राम ने 2721 किलोमीटर की दूरी 20 दिन में पूरी की थी। पुष्पक विमान से वे अयोध्या आए थे। भगवान राम ने वापसी के 20 दिन सीता माता को विरह के दौरान लंका जाने के रास्ते में मिले अनूठे जगह आदि दिखाते हुए लौटे। पुष्पक विमान से लौटने के पहले व अयोध्या पहुंचने से पहले भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भगवान हनुमान और विभीषण को लेकर उड़ रहा पुष्पक विमान संगम के तट पर उतरा जहां सबने स्नान किया था।
ज्योतिषी एनके आनंद ने कहा कि हिन्दू धर्म में दिवाली या दीपावली को लेकर दो-तीन कहानियां और भी प्रचलित कथाएं हैं। भगवान राम की अयोध्या वापसी के बाद इसे देवी लक्ष्मी के अवतार की याद में मनाने का चलन है। तीसरी कहानी भगवान श्रीकृष्ण के हाथों नरकासुर के इसी दिन वध से जुड़ी है। चौथी कहानी पांडवों की घर वापसी से जुड़ी है। कहानियां जैसी भी हों और जितनी भी हों, हर कहानी का सार यही है कि दिवाली या दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। वो बुराई दानव के रूप में हो या कुरीतियों के रूप में, उसे हराना ही दिवाली का सही मतलब है।
वर्ष 2019 में दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त : 18:44:04 से 20:14:27 तक अवधि : 1 घंटे 30 मिनट प्रदोष काल : 17:40:34 से 20:14:27 तक
वृषभ काल : 18:44:04 से 20:39:54 तक दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त : 23:39:37 से 24:30:54 तक अवधि : 0 घंटे 51 मिनट महानिशीथ काल : 23:39:37 से 24:30:54 तक