सोमवार को बाहर से आने वाली यात्री ट्रेनों में यही नजारा रहा। इंदौर से सुबह आने वाली जोधपुर वाली ट्रेन हो, डेमू ट्रेन हो, दाहोद से आने वाली मेमू ट्रेन हो या भीलवाड़ा या चित्तौडग़ढ़ से आने वाली डेमू ट्रेन हो, सभी यात्रियों से भरी हुई थी। इतना ही नहीं, दोपहर करीब १२ बजे इंदौर से उदयपुर जाने के लिए आई ट्रेन के तो सुविधाघर तक में पेर रखने की जगह नहीं थी। यही स्थिति सुबह आई अवध ट्रेन की थी।
यह भी पढ़ें
सिंहस्थ यात्राः भीड़ ज्यादा होने के कारण भक्तों ने की टॉयलेट में बैठकर यात्रा
बस पहुंच गए है
जब यात्रियों से सवाल किया की यात्रा किस तरह की रही, कैसे आए तो यात्रा का दर्द उनके चेहरे पर साफ दिख रहा था। यात्रियों ने सिर्फ यही कहा, बस पहुंच गए है। रेलवे ने जो विशेष ट्रेन चलाने की घोषणा की, उनमे तो सीट ही उपलब्ध न है, इसके अलावा अन्य नियमित यात्री ट्रेने तो घंटो देरी से चल रही है। एेसे में जो यात्री ट्रेन सबसे पहले मिल रही है, उसमे सवार होकर यात्री त्योहार मनाने आ रहे है। एेसे में कुछ ट्रेनों में तो पायदान पर दो से तीन यात्री लटकरकर यात्रा कर रहे है। इंदौर में पढऩे वाली पूजा तिवारी, कोटा में पढ रही श्रेष्ठा जैन, दाहोद में बैंक में पदस्थ मनोज शर्मा, राहुल विश्वकर्मा आदि इसी तरह तकलीफ के साथ सोमवार को पहुंचे है।
जीवन को जोखीम में डालकर यात्रा न करे
ये स्वाभाविक है कि त्योहार है तो ट्रेनों में भीड़ रहेगी, लेकिन इसके लिए जोखीम डालकर यात्रा करना बेहतर बात नहीं है। त्योहार की तारीख पहले से तय रहती है तो यात्री अपना आरक्षण पहले से करा सकते है। जहां तक करीब के स्टेशन की बात है तो जरुरत होने पर अतिरिक्त डिब्बे बढ़ाने का कार्य किया जाएगा।
– जेके जयंत, जनसंपर्क अधिकारी, रतलाम रेल मंडल