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रतलाम

अच्छा, सीएम हेल्पलाइन वाले हो, अरे तुम यहां क्यों आए, जाओ मुख्यमंत्री ही तुम्हारी सुनवाई करेंगे

– सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने वालों को प्रताड़ित कर रहे अधिकारी, एल 1 से लेकर एल 3 तक एक ही अधिकारी, शिकायतकर्ता नहीं माना तो जिसकी शिकायत थी उसे ही भेज दी जांच के लिए
 

रतलामOct 14, 2021 / 01:12 pm

Sourabh Pathak

अच्छा, सीएम हेल्पलाइन वाले हो, अरे तुम यहां क्यों आए, जाओ मुख्यमंत्री ही तुम्हारी सुनवाई करेंगे

अच्छा, सीएम हेल्पलाइन वाले हो, अरे तुम यहां क्यों आए, जाओ मुख्यमंत्री ही तुम्हारी सुनवाई करेंगे

रतलाम। मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाओं का प्रशासन के नुमाइंदे किस तरह से पालन कर रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण सीएम हेल्पलाइन में देखने को नजर आ रहा है। अधिकारियों द्वारा सुनवाई नहीं करने से नाराज आवेदक जब सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर रहे हैं तो जिम्मेदार उन्हें दफ्तर में बुलाकर प्रताड़ित कर रहे हैं। शिकायत की सुनवाई की करने वाले आवेदक को किस तरह का जवाब दे रहे हैं उसका अंदाजा आपको एक जिम्मेदार अधिकारी द्वारा कहे गए इन शब्दों से पता चल जाएगा। अच्छा, सीएम हेल्पलाइन वाले हो, अरे तुम यहां क्यों आए, तुम जाओ मुख्यमंत्री ही तुम्हारी सुनवाई करेंगे।

सीएम हेल्पलाइन की बदहाली बताता यह कोई एक मामला नहीं है। ऐसे कई मामले सामने आ जाएंगे लेकिन कई लोग डर के मारे बोलने से कतराते हैं तो कई लोग इतने परेशान हो चुके हैं कि अब वह अधिकारियों के सामने खुलकर आने लगे हैं। इस बात से नाराज अधिकारी अब उन्हें धमकाने भी लगे हैं जिसका उल्लेख पीड़ित के द्वारा सीएम हेल्पलाइन में की गई शिकायत में भी किया गया है। यह वह अधिकारी हैं जिन्हें लोग अपना सब कुछ मान लेते हैं। आइए ऐसी ही कुछ कहानियों से सीएम हेल्पलाइन की हकीकत बयां करते हैं।

केस – एक
शिकायतकर्ता – हिमांशु जोशी
शिकायत दिनांक – 24 जुलाई
वर्तमान स्थिति – सीएमएचओ कार्यालय से 5 माह तक सुनवाई करने के बाद अब शिकायत मेडिकल कॉलेज जांच कर रही थी जबकि शिकायत ही उन्हीं की है।
जिसकी शिकायत उन्हे ही सौंप दी जांच
– मेडिकल कॉलेज में उपचार में लापरवाही से हुई एक बुजुर्ग दंपति की मौत की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में दामाद हिमांशु जोशी ने की थी। 5 माह तक जिम्मेदारों ने इसे देखा भी नहीं। पीड़ित ने जब सीएम हेल्पलाइन से जानकारी चाही तो 21 सितंबर को पहली बार जवाब आया। उसके बाद 22 सितंबर को शिकायत बंद कर दी गई और बताया कि शासकीय चिकित्सालय में भर्ती मरीजों का उचित उपचार होता है।

एक अधिकारी ने 3 लेवल पर की जांच बंद
– सीएम हेल्पलाइन में 22 सितंबर को ही तीन बार शिकायत बंद कर दी गई लेकिन जब शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं हुआ तो एल 1 से शिकायत को एल 2 और फिर एल 3 भेज दी गई। खास बात यह है कि तीनों ही लेवल पर जांच अधिकारी सीएमएचओ डॉ प्रभाकर ननावरे को बनाया। एक अधिकारी तीन लेवल पर जांच कैसे कर सकता है। लापरवाही तब हो गई जब शिकायतकर्ता से परेशान अधिकारी ने शिकायत को बंद कर दिया।
5 माह तक शिकायतकर्ता को किया परेशान
– सीएमएचओ के पास जांच के लिए गई शिकायत में 5 माह तक शिकायतकर्ता को परेशान किया। बाद में शिकायत मेडिकल कॉलेज को जांच के लिए भेज दी जबकि शिकायत ही मेडिकल कॉलेज की लापरवाही की है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज के जिम्मेदार कैसे इस पर न्याय करेंगे। जब शिकायत वहां भेजना था तो सीएमएचओ ने उस पर सुनवाई का नाटक क्यों किया।
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Sourabh Pathak,
केस – दो
शिकायतकर्ता – अकबर खान
शिकायत दिनांक – 27 जुलाई
वर्तमान स्थिति – रास्ते के विवाद की शिकायत का अब तक निराकरण नहीं, वहीं राजस्व विभाग के जिम्मेदार कार्यालय में बुलाकर शिकायतकर्ता को कर रहे प्रताड़ित।
कार्यालय में बुलाकर धमकाने का आरोप
– शिकायतकर्ता अकबर खा की माने तो उसकी भूमि पर रास्ते को लेकर विवाद है जिसका प्रकरण नायब तहसीलदार के यहां चल रहा है। इसका निराकरण नहीं होने के चलते उसने शिकायत सीएम हेल्पलाइन में की। शिकायत को बंद करने के लिए अधिकारी और कर्मचारी दबाव बना रहे हैं। अकबर ने शिकायत में बताया कि तहसीलदार ने उसे कार्यालय में बुलाया और धमकाया है कि शिकायत बंद कर दे। इतना ही नहीं पटवारी भी आए दिनों से परेशान कर रहा है।
तुम्हारी शिकायत तो सीएम ही सुनेंगे
– शिकायतकर्ता की माने तो वह जब तहसील कार्यालय में जाता है तो वहां मौजूद जिम्मेदार उसका मजाक उड़ाते हैं और उसे परेशान करते हैं। उनका कहना होता है कि अरे तुम यहां क्यों आए हो, तुम तो सीएम हेल्पलाइन वाले हो तुम्हारी शिकायत की सुनवाई तो मुख्यमंत्री करेंगे। तुम यहां मत आया करो तुम यहां से जाओ। इस तरह के शब्द सिर्फ एक बार ही नहीं कुछ अन्य शिकायकर्ताओं को भी सुनने पड़ते हैं लेकिन वह अपनी पीड़ा किसी को बता नहीं पाते हैं।

कलेक्टर की भी नहीं सुनते जिम्मेदार
– सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए इसका प्राथमिकता के आधार पर निराकरण करने के निर्देश कलेक्टर कई बैठकों में दे रहे हैं लेकिन उनके निर्देशों का उनके अधीनस्थ ठीक तरह से पालन नहीं करते नजर आ रहे हैं। जबकि कलेक्टर द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 100 दिन से अधिक की शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाए वह तत्काल उन्हें निराकृत करें लेकिन उनके निर्देशों का पालन ठीक से नहीं हो रहा है।

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