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बच्चों को कहेंगे सॉरी तो हमेशा के लिए गहरा होगा आपका रिश्ता

बच्चों से माफी मांगकर हम उनके सामने एक आदर्श रखते हैं। इससे बच्चे भावनात्मक रूप से मजबूत बनते हैं जो उन्हें कठिन परिस्थितियों में संबल देता है।

Aug 18, 2018 / 10:11 am

सुनील शर्मा

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अक्सर बड़ों को लगता है कि उनसे गलतियां नहीं हो सकतीं लेकिन इंसान गलतियों से ही सीखता है। ऐसे में जरूरी है कि हम किसी का दिल दुखाएं या गलती करें तो हमें पूरी ईमानदारी से उससे माफी मांगनी चाहिए। फिर चाहे वो हमारे अपने बच्चे ही क्यों न हों लेकिन यहां इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि क्या हमें अपने बच्चों से माफी मांगनी चाहिए या केवल कुछ परिस्थितियों में। सवाल ये भी है कि बच्चों को सॉरी बोलने का सबसे अच्छा तरीका क्या है? कहीं बच्चे पैरेंट्स के बारे में गलत धारणा तो नहीं बना लेंगे?
ये भी जरूरी है कि क्या हम सही तरीके से उनसे अपनी गलती को माफ करने के लिए कह रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अपने बच्चों से माफी मांगने में कोई बुराई नहीं। लेकिन यह कैसे और कब होना चाहिए यह स्थिति और बच्चे की उम्र पर निर्भर करता है।
किन परिस्थितियों में मांगें माफी
दरअसल हम सभी अपने बच्चों पर कभी न कभी चिल्लाए होंगे। उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाई होगी। ये वो बातें हैं जिनके लिए हमें क्षमा मांगनी चाहिए। गलती करने पर हमारा माफी मांगना बच्चों के साथ हमारे रिश्ते को मजबूत करता है। हालात कैसे भी हों अगर आप बच्चों की उम्मीद पर खरे नहीं उतरे हैं तो उनसे बेहिचक माफी मांगिए। उन्हें एहसास कराएं कि क्या परिस्थितियां हुईं और आपने जानबूझकर उनकी भावनाओं को चोट नहीं पहुंचाई।
बच्चों से हालात पर करें चर्चा
माता-पिता माफी मांगने के बाद बच्चों से उन हालातों पर बात करें जिनके चलते उन्हें ऐसा करना पड़ा। इससे आपसी समझ, तारतम्यता और सौहार्द बढ़ेगा। बच्चों में भावनाओं को समझने की क्षमता बढ़ेगी। हालांकि ऐसा कर पाना सभी पैरेंट्स के लिए आसान नहीं। अगर माता-पिता बच्चों से इस कदर खुली चर्चा कर पाने में असमर्थ हैं तो वो ये किसी करीबी दोस्त, रिश्तेदार या बच्चों में से ही किसी के जरिए कर सकते हैं। ये भी संभव न हो तो लिखकर अपनी बात रखी जा सकती है।
बाल विचारों को सुनें
किशोरों के मामले में उनकी मानसिक अवस्था से उपजे विचारों को स्वीकार करना भी माफी का ही एक स्वरूप है। किशोरों की शिकायत होती है कि अक्सर उनके माता-पिता उनकी ओर कम ध्यान देते हैं।
माफी साधारण कृत्य नहीं
नकारात्मक भावनाएं भी जीवन का हिस्सा हैं। माफी मांगने की कोई सही उम्र नहीं होती। बच्चों से सॉरी कहने के लिए अपने आप का सम्मान करें क्योंकि यह कोई साधारण बात नहीं है।

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