Chaturmas Niyam: चातुर्मास में श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक महीने आते हैं। कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी को दो नवंबर तक मांगलिक कार्य नही होंगे, परंतु पूजा, कथा, प्रवचन होंगे और व्रत भी त्योहार मनाए जाएंगे। इस दौरान जयपुर में देवालयों में ठाकुर स्वरूप शालिग्राम जी को संध्या आरती दर्शन के बाद पदावलियों के गायन के साथ शयन दर्शन कराया जाएगा।
भक्त व्रत रखकर दान पुण्य करेंगे। गोविंददेव जी मंदिर में दर्शनों के लिए विशेष व्यवस्था रहेगी। हालांकि मंदिर प्रबंधन और पुलिस प्रशासन के लिए सुगमता से दर्शन करवाना चुनौती रहेगा। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक विशेष इंतजाम किए हैं।
चातुर्मास में फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। इसके बाद अच्छे से स्नान करना और अधिकतर समय मौन रहना चाहिए। चातुर्मास में साधुओं के कड़े नियम होते हैं। दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए।
इन चार माह में श्रीहरि की उपासना का अभीष्ठ फल प्राप्त होगा। चातुर्मास में कथा प्रवचन कराने और श्रवण करने का कई गुना फल प्राप्त होता है। कृष्णमूर्ति ज्योतिषाचार्य पं.मोहनलाल शर्मा और महंत मनोहरदास ने बताया कि चातुर्मास का समय वर्षा ऋतु का समय है। ऐसी स्थिति में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। इसलिए खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
पं. शर्मा के अनुसार चातुर्मास में तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। मसालेदार और अधिक तेल वाले भोजन को ग्रहण करने से बचना चाहिए। कुछ लोग इन दिनों में लहसुन और प्याज भी छोड़ेंगे। श्रावण में पत्तेदार सब्जी, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल आदि का त्याग कर देना चाहिए।
पं.दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि देवउठनी एकादशी के बाद भी मांगलिक कार्यों के लिए 15 दिन का इंतजार करना होगा। सूर्य के वृश्चिक राशि में प्रवेश के बाद 22 नवंबर से मांगलिक कार्य शुरू होंगे। नवंबर में 22, 23, 24, 25, 27, 29, 30 और दिसंबर में 4, 5, 11 को पंचागीय सावे रहेंगे।
Published on:
06 Jul 2025 03:35 pm