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धर्म और अध्यात्म

अर्जुन को इस मंदिर से मिली थी युद्ध जीतने की शक्ति, यहीं हुआ था श्रीकृष्ण का मुंडन

भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जो कि ऐतिहासिक और धार्मिक नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

Dec 08, 2017 / 04:56 pm

Priya Singh

 Maa Kali

नई दिल्ली। आप सबको महाभारत तो याद ही होगी, पांडवों के पराक्रम के किस्से याद होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पांडवों में लड़ने की शक्ति कहाँ से आई? खासकर अर्जुन को क्यों कि महाभारत अर्जुन के पराक्रम के बिना अधूरी है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्या है इसके पीछे की कहानी। कुरुक्षेत्र के इस मंदिर से है देवी भद्रकाली मां और भगवान श्रीकृष्ण का खास संबंध। भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जो कि ऐतिहासिक और धार्मिक नजरिए से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस कहानी का आरंभ देवी सती के आत्मदाह के बाद शुरू हुआ।

Shiv Ji

हरियाणा की एक जगह है वहां एक प्रसिद्ध स्थल है यह स्थल में कुरुक्षेत्र है। इस शक्तिपीठ देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ स्थापित है यह पूरे हरियाणा एकमात्र है। सिर्फ यह ही नहीं इस जगह का खास संबंध और महत्व भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत के युद्ध के समय से माना जाता है। यह उन्हीं स्थलों में से एक है जहां देवी सती का दायां पैर गिरा था। जब देवी सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव देवी का देह लेकर क्रोध में ब्रह्मांड में घूमने लगे तो भगवान विष्णु को भय हुआ के सती को खो देने के रोष में शिव जी कहीं सृष्टि को विनाश न कर दें इसीलिए देवी के प्रति भगवान शिव का मोह तोड़ने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 52 हिस्सों में काट दिया। पूरे भारत वर्ष में जहां-जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे, वहां-वहां देवी के 52 नाम के शक्तिपीठ स्थापित हुए। और कुरुक्षेत्र के जिस शक्तिपीठ की बात हम कर रहे हैं वहां पर देवी सती का दायां पैर जो कि घुटने के नीचे का भाग था वह जाकर गिरा।

 Maa Kali.
इसी शक्तिपीठ में हुआ था श्रीकृष्ण का मुंडन। इस शक्तिपीठ का संबंध सिर्फ देवी सती से ही नहीं भगवान कृष्ण के साथ भी माना जाता है। मान्यता है कि, इसी स्थल पर बचपन में भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन किया गया था। यह एक और कारण है कि जगह का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। यही वह स्थल है जहां अर्जुन ने मां भद्रकाली से जीत की प्रार्थना की थी। मान्यताओं के अनुसार, महाभारत के युद्ध से पहले जीत की कामना लेकर अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के पास गए थे कृष्ण ने अर्जुन को यहीं पर मां भद्रकाली की पूजा करने को कहा। श्रीकृष्ण के कहे अनुसार यहाँ पर अर्जुन ने देवी की पूजा-अर्चना की और युद्ध में जीतने के बाद भद्रकाली को घोड़ा चढ़ाने का प्रण लिया। तभी से लोग यहां पर अपनी कामनाएं लेकर आते हैं औरव अपनी इच्छा पूरी होने पर सोने, चांदी व मिट्टी के घोड़े चढ़ाते हैं।

 

 Maa Kali

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