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शनि साढ़े साती, ढैया की परेशानियां कम करने का सबसे खास मौका

शुक्रवार 1 दिसंबर को शाम 4.40 बजे से पुष्य नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा जोकि दूसरे दिन शनिवार शाम तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र में खरीदारी का तो महत्व है ही, इस दौरान पूजा पाठ भी बहुत असरकारक साबित होती है। पुष्य नक्षत्र में पूजा पाठ, साधना आदि का त्वरित फल प्राप्त होता है।

Dec 01, 2023 / 01:29 pm

deepak deewan

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पुष्य नक्षत्र में पूजा पाठ, साधना आदि का त्वरित फल

शुक्रवार 1 दिसंबर को शाम 4.40 बजे से पुष्य नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा जोकि दूसरे दिन शनिवार शाम तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र में खरीदारी का तो महत्व है ही, इस दौरान पूजा पाठ भी बहुत असरकारक साबित होती है। पुष्य नक्षत्र में पूजा पाठ, साधना आदि का त्वरित फल प्राप्त होता है।

शनिवार को पुष्य नक्षत्र में शनिदेव की पूजा, साधना, मंत्र जाप करने से शनि पीड़ा से खासी राहत मिलती है। खासतौर पर शनि की महादशा या अंतरदशा में मिल रहे कष्टों से मुक्ति पाने के लिए शनि पुष्य योग में शनिदेव की पूजा पाठ जरूर करें। जिन जातकों पर शनि की साढ़े साती, शनि की ढैया आदि चल रही है, उन्हें भी पुष्य नक्षत्र शनिदेव की पूजा करना चाहिए, जरूर लाभ मिलेगा।

शनि देव के मंत्र
1. सरल मंत्र— ओम शं शनिश्चराय नम:
2. बीज मंत्र— ओम प्रां प्रीं प्रौं स: शनिश्चराय नम:

जाप करने की विधि
घर के पूजा स्थल पर आसन पर बैठकर शांत चित्त से जाप करें। शनिदेव, हनुमानजी या किसी शिव मंदिर में भी ये जाप कर सकते हैं। रुद्राक्ष की माला से जाप करें। उपरोक्त दोनों मंत्रों के एक माला यानि 108 जाप करीब 5 मिनट में पूर्ण हो जाते हैं। जाप पूर्ण श्रद्धा से करें। जाप करते समय शनिदेव की वरमुद्रा की तस्वीर या विग्रह का ध्यान करते रहें।

हनुमान चालीसा का सात बार जाप करें
शनिदेव हनुमानजी की आराधना से सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं। हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना सबसे अच्छा माना जाता है। हनुमान चालीसा का सात बार जाप करना अधिक फलदायक कहा गया है। हनुमान चालीसा में ही इस बात का जिक्र है—
जो सत बार पाठ कर कोई
छूंटहिं बंदी, महासुख होई!!

पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं और देवता बृहस्पति हैं। बृहस्पति सबसे शुभ ग्रह हैं और शनि देव स्थिरता के प्रतीक हैं। पुष्य नक्षत्र में इन दोनों के गुण समाहित होते हैं। यही वजह है कि पुष्य नक्षत्र में प्रारंभ किए गए कार्य शुभ, सफल और चिरस्थाई माने जाते हैं। पूजा—पाठ, साधना आदि का जल्दी फल प्राप्त करने के लिहाज से भी पुष्य नक्षत्र सबसे अच्छा मुहूर्त है। बृहस्पति और शनि के गुणों को समाहित करने की वजह से ही पुष्य नक्षत्र में पूजापाठ, मंत्र जाप फलदायी साबित होते हैं।

दिसंबर के पहले दिन यानि 1 दिसंबर को शुक्रवार के दिन पुष्य नक्षत्र शाम 4.40 बजे से शुुरु होगा। पुष्य नक्षत्र 2 दिसंबर को शनिवार के दिन शाम 6.54 बजे तक रहेगा। इस तरह शुक्रवार को शुक्र पुष्य योग और शनिवार को शनि पुष्य योग बनेगा।

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