
एकादशी के दिन चावल खाना चाहिए या नहीं, जानें चावल की उत्पत्ति की कहानी
ekadashi par chawal kyu nahi khate: एकादशी पर चावल न खाने को लेकर दो कहानियां प्रचलित हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में महर्षि मेधा ने एक यज्ञ में आए भिखारी का अपमान कर दिया, जिससे माता दुर्गा नाराज हो गईं, माता के क्रोध से बचने और प्रायश्चित के लिए महर्षि मेधा ने अपना शरीर त्याग दिया और शरीर के अंश धरती में समा गए। इस प्रायश्चित से प्रसन्न होकर माता दुर्गा ने महर्षि को आशीर्वाद दिया कि उनके अंग हविष्य अन्न के रूप में धरती से उगेंगे। इसके बाद महर्षि के पृथ्वी में दबे अंश चावल और जौ के रूप में उत्पन्न हुए।
इसी कारण चावल और जौ को पौधा नहीं जीव माना जाता है। इस घटना के दिन एकादशी तिथि थी। इसलिए व्रत में चावल खाना निषिद्ध हो गया। जो व्यक्ति भगवाव विष्णु के उपवास के दिन चावल खाता है उसे मांसाहार खाने का दोष लगता है और ऐसे व्यक्ति की पूजा स्वीकार नहीं होती। मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के रक्त और मांस खाने के समान है, जिससे पाप लगता है और अगले जन्म में व्यक्ति को सर्प का जन्म मिलता है।
rice origion religious story: इनमें से एक अन्य कथा के अनुसार एकादशी माता के अवतार और दैत्य मुर के वध के बाद भगवान श्री हरि विष्णु ने एकादशी माता को सृष्टि के पापों से दूर करने का आदेश दिया। जब माता सृष्टि को पाप मुक्त करने के लिए चलीं तो कुछ पाप कर्म चावल में छिप गए। इससे नाराज एकादशी देवी ने चावल को श्राप दिया कि तुमने पापों को स्थान दिया है, इसलिए तुम्हें एकादशी के दिन कोई नहीं खाएगा।
मान्यता है कि इस दिन सभी पाप चावल में होते हैं। इस दिन जो व्यक्ति चावल खाता है उसे मृत्यु के बाद नर्क प्राप्त करता है। इस दिन चावल खाना मांस खाने जैसा होता है। साथ ही मृत्यु के बाद रेंगने वाले जीव के जेंडर में जन्म लेता है। इसलिए एकादशी पर चावल नहीं खाया जाते, लेकिन जो लोग व्रत रखते हैं, उन्हें अगले दिन चावल खाकर व्रत का पारण करना चाहिए।
ये भी पढ़ेंः
वैज्ञानिकों के अनुसार चावल में पानी की मात्रा अधिक होती है और व्यक्ति के शरीर का 70 प्रतिशत हिस्सा भी पानी ही होता है। जबकि चंद्रमा का प्रभाव पानी में अधिक होता है। इसी कारण मन का कारक चंद्रमा व्यक्ति के मस्तिष्क और हृदय को प्रभावित करता है। चंद्रमा के प्रभाव की वजह से ही एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति को मानसिक और हृदय संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। इसके अलावा चावल का सेवन करने से मन चंचल और अस्थिर हो सकता है, जिससे व्रत के दिन व्यक्ति का ध्यान पूजा-अर्चना में नहीं लग पाएगा। इसलिए इस दिन चावल खाने पर रोक है।
ये भी पढ़ेंः
Updated on:
25 Jul 2024 09:07 pm
Published on:
25 Jul 2024 09:06 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
