इस दिशा पर शनि करते हैं राज
ज्योतिष की तरह ही वास्तु शास्त्र में भी दस दिशाओं को महत्व दिया गया है। इनमें से चार मुख्य दिशाएं पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण हैं। वहीं इनकी भी चार उप दिशाएं ईशान, आग्नेय, नेऋत्य और वायव्य मानी गई हैं। इसके अलावा आकाश और पृथ्वी को भी दिशा ही माना गया है। इस तरह वास्तु शास्त्र में कुल दस दिशाओं की जानकारी मिलती है। वहीं हर दिशा का अपना ग्रह और देवता होता है। इनका असर इनकी दिशाओं पर रहता है। चूंकि हम बात कर रहे हैं शनि देव की, तो शनि देव की फेवरेट डायरेक्शन है ईस्ट, यानी पश्चिम दिशा। इसका अर्थ यह है कि पश्चिम दिशा पर शनि देव का प्रभाव नजर आता है।
क्यों मानी जाती है महत्वपूर्ण
वास्तु शास्त्र में पश्चिम दिशा को बेहद महत्वपूर्ण दिशा माना जाता है। इसका कारण यही है कि इस दिशा पर शनि देव का राज होता है। वहीं वरुण देवता इस दिशा के देव माने जाते हैं। इस दिशा में किसी भी प्रकार का दोष होना घर या प्रतिष्ठान के पूरे वास्तु को ही खराब कर देता है। जिसके अशुभ परिणाम जल्द ही नजर आने लगते हैं। इसीलिए वास्तु शास्त्र में इस दिशा को दोष मुक्त होना ही सही माना गया है। दरअसल पश्चिम यानी शनि की यह दिशा सफलता, संपन्नता और उज्जवल भविष्य तय करने वाली दिशा मानी गई है। इस दिशा में दोष होने पर वायु संबंधी विकार, कुष्ठ रोग, पैरों में दर्द जैसी समस्याएं परेशान करती हैं। वहीं जीवन में प्रसिद्धि और सफलता की कमी भी बनी रहती है।
क्या हैं इस दिशा के दोष? – पश्चिम दिशा में घर का मुख्य दरवाजा नहीं होना चाहिए। यदि मुख्य दरवाजा पश्चिम दिशा में बनाना पड़ रहा है, तो दरवाजे के दोनों ओर थोड़ी दूरी पर ऊंचे घने छायादार पेड़ लगाने चाहिएं। ताकि डूबते सूरज की ऊर्जा घर में न आ सके।
पश्चिम दिशा में कर सकते हैं ये काम
– पश्चिम दिशा में गेस्ट रूम बनाया जा सकता है।
– इस दिशा में बच्चों का कमरा बनाया जा सकता है।
– पश्चिम दिशा में ओवरहेड वाटर टैंक बनाया जा सकता है।
– पश्चिम दिशा की दीवारों पर वॉयलेट या ग्रे जैसे डार्क रंग करना चाहिए। ऐसा करना शनि को सूट करता है।
– पश्चिम दिशा में घर का स्लोप नहीं होना चाहिए। इस दिशा में घर का तल पूर्व की अपेक्षा ऊंचा होना चाहिए।
– पश्चिम दिशा में बनाई जाने वाली कंपाउंडिंग वॉल मोटी और अधिक ऊंची होनी चाहिए।
दोष दूर करने के लिए कर लें ये काम
– पश्चिम दिशा में यदि किसी प्रकार का दोष है और उसे दूर करना संभव नहीं हो रहा हो तो, घर में शनि यंत्र की स्थापना करें, उसकी पूजा करें।
– पश्चिम दिशा की दीवारों पर डार्क रंग किया जा सकता है। इससे शनि की दृष्टि सौम्य रहेगी।
– ऐसे घरों में रहने वाले लोगों को मांस-मदिरा से दूर रहना चाहिए।
– भैरव की उपासना करने से पश्चिम दिशा के दोष खत्म हो जाते हैं।
यहां जानें किस दिशा के स्वामी कौन
पूर्व – सूर्य इंद्र
पश्चिम– शनि, वरुण
उत्तर– बुध और कुबेर
दक्षिण– मंगल और यम
उत्तर पूर्व (ईशान)– गुरु, शिव,
दक्षिण पूर्व (आग्नेय)– शुक्र, अग्नि देवता
दक्षिण पश्चिम (नैऋत्य)- राहु और केतु,
उत्तर पश्चिम (वायव्य)– चंद्रमा, वायु देवता।