बैठक के प्रारंभ में ही जिपं अध्यक्ष ने सवाल उठाए कि शहर में रेडी-टू-ईट फूड योजना के तहत चार साल से बच्चों को बना बनाया भोजन का पैकेट बांटा जा रहा है कि किसी को मालूम हो तो बताएं। अध्यक्ष ने दस्तावेज दिखाते हुए कहा कि इस योजना पर हर माह 30 लाख रुपए आहरित किए जा रहे हैं। अध्यक्ष के द्वारा सदन में उठाए गए इस सवाल पर सनाका खिंच गया। सदस्यों ने मामले को कलेक्टर से परीक्षण कराने का प्रस्ताव लाया है।
अध्यक्ष ने जिपं सदस्य एवं सहकारिता सभापति शिवकली नट के द्वारा लाए गए प्रस्ताव के पालन प्रतिवेदन पर चर्चा करते हुए कहा कि सामान्य प्रशासन समिति की बैठक (18.10.2019) के बिंदु क्रमांक एक के परिपालन में परियोजना अर्थशास्त्री की नियुक्ति को कोई ठोस आधार नहीं है। तत्कालीन अफसरों की साठगांठ से परियोजना अर्थशास्त्री को मध्यान्ह भोजन का प्रभारी बनाया गया।