जिले में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष सड़क हादसों में वृद्धि हुई है। इस वर्ष जिले में 1424 सड़क दुर्घटनाएं हुई है जिसमें 399 लोगों की मौत हुई है और 1424 लोग घायल हुए है। जिले के विभिन्न मार्गों में सबसे ज्यादा हादसे राष्ट्रीय राजमार्ग क्र. 30 में हुए है। प्रगयाराज हाइवे में इस वर्ष 227 सड़क हादसे हुए है। इन हादसों में 63 लोगों की मौत हुइ्र है और 224 लोग घायल हुए है। इन घायलों में 67 लोग गंभीर रूप से घायल हुए है।
प्रयागराज हाइवे में गत वर्ष भी सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हुई थी। रीवा तरफ से प्रयागराज की ओर जाने वाले ओवर लोड वाहन छोटी गाडिय़ों के लिए काल बन जाते है और पलक झपकते ही जिंदगियां काल के गाल में समा जाती है। प्रशासन के तमाम प्रयास हाइवे में सड़क दुर्घटनाओं को कम नहीं कर पा रहे है।
इस रुट में सबसे ज्यादा हादसे सोहागी पहाड़ में हुए है। आए दिन यहां पर ट्रक पलट जाते है जिससे जिंदगियां समाप्त हो जाती है। सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रयास तो कई किये गये लेकिन उक्त प्रयासों के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में कमी नहीं आई है। हाइवे 30 में मनगवां, गंगेव, गोंदरी मोड़, गढ़ बाईपास, कलवारी, कटरा, सोहागी पहाड़ व चंदई में सबसे ज्यादा हादसे हुए है।
1- राष्ट्रीय राजमार्ग में आवारा जानवर सड़क दुर्घटनाओं का बहुत बड़ा कारण है। दोनों हाइवे में हजारों आवारा जानवर सड़क के बीच डिवाइडर में बैठते है और अचानक सड़क पर आ जाते है जिससे वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते है। कई वाहन तो इन जानवरों को बचाने के चक्कर में दुर्घटना का शिकार हो जाते है।
2- हाइवे में डिवाइडर में लोगों ने इच्छानुसार कट बना लिये है। डिवाइडर को तोड़कर वाहनों के आवाजाही का रास्ता बना लिया है। इन कट से अचानक वाहन सड़क पर आ जाते है और दूसरे वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते है।
3- हाइवे में नो-पार्किंग वाहनों की वजह से सड़क हादसे होते है। पूरे हाइवे में सड़क पर भारी वाहनों की कतार ढाबों के आसपास लगी रहती है और सड़क से गुजरने वाले दूसरे वाहन दुर्घटना का शिकार हो जाते है।
4- ओवर लोड वाहनों के गुजरने से हाइवे की सड़क पर लहरनुमा बन गया है। इससे छोटे वाहन फिसल जाते है। वहीं बारिश के मौसम में जब पहियों में मिट्टी लगी होती है तो ये सड़क जानलेवा बन जाती है।