ऐसे में मध्य प्रदेश सरकार व हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी शुक्रवार को पांचवें दिन भी जूनियर डॉक्टर्स काम पर लौटने को तैयार नहीं हुए। वे मेडिकल कॉलेज कैंपस में ही अपनी छह सूत्री मांगों को लेकर अड़े हुए है। बीते दिन देर शाम सभी ने सामूहिक इस्तीफा सौंपते हुए कैंडल मार्च निकाला था। साथ ही कोरोना आपदा के दौरान कार्य करते समय शहीद हुए जूनियर डॉक्टर को स्मरण किया गया।
ये भी पढ़ें- junior doctors strike पर पूर्व सीएम कमलनाथ का CM शिवराज चौहान पर हमला इधर रीवा के श्यामशाह मेडिकल कॉलेज ने प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजो की तुलना में कहीं ज्यादा ही सख्त कदम उठा लिया है। जानकारी के मुताबिक श्यामशाह मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने न केवल कॉलेज के अंतिम वर्ष बल्कि प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्रों का नामांकन भी रद करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया है। ऐसे में श्याम शाह मेडिलक कॉलेज के डीन डॉ. मनोज इंदुलकर पर एकतरफा कार्रवाई के आरोप लग रहे हैं।
डीन ने शासन के पाले में डाली गेंद लेकिन इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए डीन डॉ इंदुलर का कहना है कि राज्य सरकार ने जूनियर डॉक्टरों की लिस्ट मांगी थी, तो हमने सौंप दी। आगे का फैसला सरकार को ही करना है। हालांकि जूडा (जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन) के अध्यक्ष डॉ. रजनीश मिश्रा का कहना है कि प्रशासनिक कार्रवाई से भविष्य में जूडा नेताओं को फायदा ही होना है। अन्य जगह सिर्फ जूनियर डॉक्टर्स के लीडरों व खासकर लास्ट ईयर के जूडा को टार्गेट किया गया है। इस बीच इस पूरे मामले में जूडा यूनियन के प्रदेश पदाधिकारी भावी रणनीति तय करने में जुट गए हैं।
ये भी पढ़ें- junior doctors strike जारी, मरीज परेशानी में नर्सेस यूनियन का समर्थनछह सूत्रीय मांगों को लेकर पांच दिन से हड़ताल कर रहे जूडा का स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े विभिन्न संगठनों द्वारा समर्थन मिलने लगा है। नर्सेस एसोसिएशन की जिला अध्यक्ष अंबिका तिवारी ने भी जूडा की मांगों का समर्थन किया। साथ ही जूडा के पक्ष में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर ज्ञापन सौंपा है। समर्थन पत्र में लिखा है कि जूडा, मेडिकल कॉलेज और रीवा में अस्पताल का मुख्य आधार है। कोरोना महामारी के दौरान इनकी सेवाएं सराहनीय रहीं। जूडा की सभी मांगे जायज है। ऐसे में जल्द निराकरण कर जूडा को अस्पताल के कार्यों पर लिया जाए।