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रीवा

शहर की पानी टंकियों की आयु सीमा पूरी, जर्जर हो चुकी ये कभी भी हो सकती हैं धराशाई

– नगर निगम ने पेश की रिपोर्ट, टंकियों से पानी का होने लगा है रिसाव- 30 वर्ष औसत आयु टंकियों की मानी जाती है, 60 वर्ष पहले तक की बनी हैं पानी टंकिंयां
 

रीवाJan 24, 2020 / 12:01 pm

Mrigendra Singh

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The age limit of the water tanks of the city is complete, Rewa,The age limit of the water tanks of the city is complete, Rewa

रीवा। शहर में वर्षों पहले बनाई गई पानी की टंकियां अब जर्जर हो चुकी हैं। तकनीकी रूप से अनुमानित की गई इनकी समय-सीमा पूरी हो चुकी है। कई ऐसी टंकिंयां हैं, जिनसे पानी का रिसाव भी प्रारंभ हो गया है। नगर निगम प्रशासन इन टंकियों की मरम्मत और सुरक्षा को लेकर लगातार उदासीन रवैया अपना रहा है। यही हाल रहा तो जर्जर हो चुकी टंकियां कभी भी बड़े हादसे का रूप ले सकती हैं। वर्षों पहले टंकियां जहां पर बनाई गई थी, वहां पर पहले मकान नहीं थे, अब आसपास बड़ी संख्या में मकान बना लिए गए हैं।
यदि कोई हादसा टंकियों के वजह से होता है तो मानव हानि भी हो सकती है। बढ़ते खतरे को देखते हुए नगर निगम के इंजीनियरों ने इन टंकियों की वर्तमान स्थिति का सर्वे कर रिपोर्ट पेश की है। जिसमें आठ टंकियों को जर्जर बताकर इनके बारे में इंतजाम करने की अनुशंसा की है। अब नगर निगम प्रशासन इस मामले में कोई नया निर्णय लेगा। इन्हें मरम्मत कराया जा सकता है या फिर गिराने का भी निर्देश जारी हो सकता है। कुछ तो ऐसी टंकियां हैं जिनकी मरम्मत से भी स्थिति में सुधार अधिक नहीं होगा।
इसके पहले प्रदेश के कुछ हिस्सों में जर्जर पानी टंकियों के गिरने के चलते बड़े हादसे हो चुके हैं। इस वजह से कोई उस तरह की घटना रीवा में नहीं हो, अभी से अलर्ट रहने की तैयारी की जा रही है। जानकारी के मुताबिक रीवा शहर में नगर निगम के आधिपत्य में 24 पानी की टंकियां हैं, जिसमें आठ की हालत खराब बताई गई हैं। जर्जर हो चुकी टंकियों में अधिकांश शहर की बड़ी टंकियां शामिल हैं।
– पानी का होने लगा है रिसाव
टंकियां वर्षों पहले बनाई गई थी, जिसके चलते उनके कालम, डोम एवं वर्टिकल वाल में उपयोग किए गए कांक्रीट का क्षरण शुरू हो गया है। इनसे लोहे का सरिया भी कई जगह बाहर दिखने लगा है। जिसकी वजह पानी का रिसाव भी शुरू हो गया है। कुछ में तो पानी रिसाव के चलते काई भी जमा हो गई है। इनकी सफाई भी कई वर्षों से नहीं हुई है। लगातार टंकियों में खतरा बढ़ता जा रहा है।
– पानी सप्लाई रोकने की अनुशंसा
जर्जर हो चुकी टंकियों की हालत लगातार खराब होती जा रही है। इसलिए नगर निगम के पेयजल शाखा ने अनुशंसा की है कि ऐसी टंकियों से पानी की सप्लाई बंद की जाए। जो मरम्मत के योग्य हैं उन्हें मरम्मत कराया जाए और जो अधिक जर्जर हैं, उन्हें गिराया जाए। साथ ही इन टंकियों के विकल्प के रूप में नवीन टंकियों का निर्माण कराने की भी अनुशंसा की गई है। नेहरू नगर की टंकी को सबसे अधिक जर्जर बताया गया है। इसका निर्माण 1985 में हुआ था। चार लाख लीटर क्षमता वाली यह टंकी कई वर्षों से जर्जर है, इसके लिए पहले भी रिपोर्ट जारी की जा चुकी है।

– जर्जर टंकियों की रिपोर्ट पर एक नजर
टंकी का नाम- क्षमता- निर्माण वर्ष
1-सिविल लाइन टंकी- 13.60 लाख ली. – 1975
2-चिरहुला छोटी टंकी- 6.75 लाख लीटर- 1974
3-उपरहटी टंकी- 5.70 लाख लीटर- 1960
4-धोबिया टंकी- 8 लाख लीटर- 1960
5- हास्पिटल कैम्प्स- 4.50 लाख लीटर- 1990
6- नेहरू नगर(सुधार न्यास)- 4 लाख लीटर- 1985
7- चिरहुला हाउसिंग बोर्ड- एक लाख लीटर- 1974
8- पद्मधर कालोनी- एक लाख लीटर- 1988
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शहर की आठ टंकियां औसत अवधि 30 वर्ष से पुरानी हो चुकी हैं। इनकी कांक्रीट का क्षरण शुरू हो गया है, पानी का रिसाव होने लगा है। हाल ही में भौतिक सत्यापन कराने के बाद रिपोर्ट पेश की गई है। कई ऐसी टंकियां हैं जिनसे पानी की सप्लाई बंद करने की भी अनुशंसा की गई है।
एसएन द्विवेदी, सहायक यंत्री नगर निगम

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