जैसे ही पूरी बारात दुल्हन के गांव पहुंचती है तो ग्रामीण राहत की सांस लेते हैं, लेकिन जैसे ही पता चलता है कि बारात से दूल्हा ही गायब है और बिन दूल्हे की बारात यहां पहुंच गई है तो हड़कंप मच जाता है। गांव में तरह-तरह की बातें होने लगती है। ऐसे में बड़े-बड़ों की इमरजेंसी मीटिंग होती है और फिर जो तय होता है वह भी सभी के होश उड़ाने होता है।
बताया गया है कि आपातकालीन मीटिंग में घर के बड़े लोग तय करते है कि ऐसी स्थिति में दूल्हे के छोटेभाई का ही विवाह करा देना उचित समझा जाता है। और अचानक से ही सभी व्यवस्थाएं कर दिलीप के छोटे भाई बृजकिशोर घोष के सिर सेहरा सजा दिया जाता है। लोगों के इस निर्णय से घर के लोग और नातेदार भले ही आश्चर्य में थे, लेकिन शादी टूटते बच रही थी इसकी खुशी उनके चेहरों पर देखी गई थी। रात भर वैवाहिक समारोह चला, जबकि शुक्रवार की सुबह दुल्हन की विदा दूल्हे के छोटेभाई बृजेश के साथ की गई।
इधर शुक्रवार की सुबह गायब हुए दूल्हे दिलीप की खबर लगने का कॉल उसके पिता मुन्नालाल के पास आता है, लेकिन जो सूचना मिलती है वह उसके होश उड़ाने वाली थी। पिता मुन्नालाल के आंसू टपकने लगते है और तत्काल ही घर जाने के लिए निकल पड़ते है। दरअसल, बारात से भागे दूल्हे दिलीप द्वारा घर पहुंचकर शुक्रवार की सुबह खुद को आग के हवाले कर दिया जाता है। इस समय दुल्हन की विदाई का कार्यक्रम चल रहा था। आग से जलने के बाद दिलीप चीखता चिल्लाता है, जिसे देख आसपास रहने वाले लोग उसकी आग बुझाने के लिए भागते है और आग बुझाने के बाद गंभीर हालत में जिला अस्पताल टीकमगढ़ में सुबह ११ बजे भर्ती कराया जाता है। जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। दिलीप ९० प्रतिशत जल चुका है, जिसके बचने की उम्मीद कम ही बताई जा रही है।
दोपहर साढ़े 12 दिलीप के पिता मुन्नीलाल भी टीकमगढ़ जिला अस्पताल पहुंच जाते है। जहां बेटे की हालत देखकर वह पानी-पानी हो जाते है। उनके साथ आए परिजनों का भी रो-रो कर बुरा हाल था। पिता मुन्नीलाल के अनुसार दिलीप शराब का आदि हो गया था, जिससे वह गलत रास्ते पर चल पड़ा था। यही कारण था कि उसने खुद ही बारात भी छोड़ दी। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।