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घूसखोरों को बेनकाब करने में सागर लोकायुक्त ने भोपाल, इंदौर को पछाड़ा

कार्रवाई करने में आगे रहने वाली लोकायुक्त समय पर चालान पेश नहीं कर पा रही है।

सागरNov 05, 2017 / 02:33 am

संजय शर्मा

sagar lokayukta traps

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सागर. रिश्वतखोरों के विरुद्ध कार्रवाई के मामलों में सागर संभाग प्रदेश में सबसे अव्वल रहा है। विगत दिवस प्रदेश स्तर पर हुई लोकायुक्त की समीक्षा में अधिकारियों ने भी इसके लिए सराहना की थी। 2017 में अब तक संभाग में रिश्वत मांगने की शिकायत पर 36 केस दर्ज किए गए हैं। भोपाल संभाग में इस अवधि में केवल 26, इंदौर, जबलपुर में 29-29 कार्रवाई की गई हैं। इसके उलट तस्वीर का दूसरा पहलू है कोर्ट में चालान पेश करने में देरी।
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केस- 1 : कमर्शियल टैक्स विभाग
एचएस ठाकुर, डिप्टी कमिश्नर, जलज रावत, असि. कमिश्नर
पिपरमेंट व्यवसायी से वाणिज्य कर चोरी के मामले में फंसाने का दबाव बनाकर करीब सवा दो लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। व्यापारी की शिकायत पर पुष्टि के बाद लोकायुक्त पुलिस ने आधी रात को अधिकारियों को एक कर सलाहकार के साथ रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। विभाग ने साल गुजरने के बाद भी अभियोजन स्वीकृति नहीं दी है।
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केस- 2 : नगर पालिक निगम सागर
लखन साहू, ईई व प्रभारी उपायुक्त, नगर निगम में तैनात
दो साल पहले साहू के विरुद्ध लोकायुक्त पुलिस ने केस
दर्ज किया था। लोकायुक्त पुलिस ने दो साल में कई बार नगरीय प्रशासन विभाग को पत्र लिख अभियोजन स्वीकृति मांगी है। परिषद भी अभियोजन स्वीकृति में बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए विधि विभाग को पत्र लिखा गया है।

दरअसल, राजनीतिक सांठगांठ व अधिकारियों के संरक्षण के चलते लोकायुक्त पुलिस अभियोजन स्वीकृति के इंतजार में 20 से ज्यादा मामलों के चालान कोर्ट में पेश नहीं कर सकी है। 2015 से लेकर नवंबर 2017 के बीच के ये प्रकरण विवेचना के बाद लोकायुक्त ऑफिस में धूल खा रहे हैं। इनमें से कुछ मामलों में लोकायुक्त पुलिस विधि विभाग को भी पत्र भेज चुकी है, लेकिन वहां से भी अब तक मार्गदर्शन नहीं मिला है। भ्रष्टाचार, रिश्वत के 18 प्रकरण दूसरे कारणों से लंबित हैं।
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लाभ का गणित बना रक्षा कवच
शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त पुलिस उसकी पुष्टि करती है, फिर रंगेहाथ रिश्वत लेने वाले भ्रष्ट लोकसेवकों को गिरफ्तार कर केस दर्ज करती है। इसके बावजूद भ्रष्ट आचरण में डूबे अधिकारियों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को पहुंचाए जाने वाले लाभ व नेताओं की जी हुजूरी इनका कवच बन जाती है।
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पत्राचार की अनदेखी
लोकायुक्त पुलिस को चालान पेश करने के लिए विभाग से अभियोजन स्वीकृति हासिल करनी होती है, लेकिन अधिकांश मामलों में विभाग पत्राचार की अनदेखी कर देता है।

साल भर से अटके कई मामले
वर्तमान में 20 केस अभियोजन स्वीकृति के इंतजार में हैं। लोकायुक्त पुलिस केवल इसी वजह के चलते चालान कोर्ट में पेश नहीं कर पा रही है। अभियोजन स्वीकृति के नाम पर अटके कुछ मामले 2015 और 2016 के भी हैं। यानी, साल-दो साल से केवल कानूनी पेंचीदगी के नाम पर भ्रष्टाचार के कई केस फाइलों तक सिमटे हैं। कभी विभागीय अधिकारियों के संरक्षण के चलते अभियोजन स्वीकृति तो कभी राजनैतिक जोड़-तोड़ का लाभ आरोपी पक्ष को मिल जाता हैं।
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3 चालान कोर्ट में
लोकायुक्त पुलिस द्वारा रिश्वत के तीन प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद चालान कोर्ट में पेश किए गए हैं। इनमें उप पंजीयक दमोह कमला सैनी, डिप्टी रेंजर चरण ङ्क्षसह गौंड़ सागर एवं रोजगार सहायक अमित उपाध्याय सागर के मामले हैं।
यहां से नहीं मिली स्वीकृति
शिक्षा विभाग, नगर निगम सागर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, राजस्व विभाग, कमर्शियल टैक्स।

विधि विभाग से मांगा मार्गदर्शन
लोकायुक्त पुलिस लगातार शिकायतों पर कार्रवाई कर रही है। कुछ प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति का इंतजार है। जिन विभागों से स्वीकृति नहीं मिल रही है, उसके संबंध में विधि विभाग से मागदर्शन मांगा गया है।
जगदीशचंद्र वर्मा, डीएसपी लोकायुक्त सागर
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