टीकमगढ़. टीकमगढ़ नगर पालिका में सालों से पदस्थ भृत्य अपनी काबिलयत की दम पर लिपिक बनने की पात्रता रखता था, लेकिन नगर पालिका की कुर्सी पर बैठने वाले सीएमओ द्वारा सालों से उसका प्रमोशन रोके हुए थे। सीएमओ विजय शंकर त्रिवेदी से भी उसने अपने प्रमोशन की सिफारिश की, लेकिन सीएमओ ने पौने दो लाख रुपए की डिमांड रख दी। कई सालों से अधिकारियों की सेवा करने वाले भृत्य को अखर गया तो वह सागर लोकायुक्त एसपी की शरण में चला गया। जहां से सीएमओ को जाल में फांसने का ताना बना बुना गया।
नगर पालिका की सीएमओ विजय शंकर त्रिवेदी सोमवार की सुबह अपने शासकीय आवास पर 25 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त सागर द्वारा रंगे हाथों धरे गए। सीएमओ नगर पालिका के चपरासी रामप्रसाद बिलगैया से बाबू बनाने के लिए 1 लाख 75 हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा था। जिस पर भृत्य राम प्रसाद ने लोकायुक्त की शरण ली और रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार करा दिया। लोकायुक्त की टीम ने कार्रवाई कर मामला पंजीबद्ध कर लिया है।
लोकायुक्त डीएसपी जेपी वर्मा ने बताया कि टीकमगढ़ नगर पालिका सीएमओ विजय शंकर त्रिवेदी अपने ही कर्मचारी से प्रमोशन की एवज में रिश्वत की मांग कर रहे थे। जिस पर भृत्य ने लोकायुक्त सागर एसपी के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद सीएमओ को रंगे हाथों पकडऩे के लिए जाल बिछाया जिसमें वह पहली ही किस्त लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया।
भृत्य रामप्रसाद बिलगैया का कहना है कि वह सेवा भाव से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता चला आ रहा है, वह काम करते-करते इतना परिपक्व हो गया है कि अब उसका प्रमोशन भृत्य से बाबू के पद पर होना चाहिए, लेकिन इस मामले में जितने भी सीएमओ आए वे उसके मामले को लटकाए रहे। जिस कारण उसका प्रमोशन अटका हुआ था। सीएमओ विजय शंकर त्रिवेदी से भी उसने प्रमोशन की बात कही जिस पर उन्होंने पौने दो लाख रुपए की डिमांड रख दी। इस पर उसने अपनी हैसियत का हवाला दिया, लेकिन सीएमओ टस के मस नहीं हो रहे थे, मजबूरीवश उसे लोकायुक्त की शरण लेनी पड़ी।
वहीं इस मामले में 25 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए सीएमओ विजय शंकर त्रिवेदी लोकायुक्त की इस कार्रवाई को उनके खिलाफ षड्
यंत्र पूर्वक कार्रवाई करार देकर अपने आपको ईमानदार अधिकारी होने का प्रयास लोकायुक्त टीम से करते रहे, लेकिन मौके पर मिले सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर लोकायुक्त सागर की टीम ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिश्वत लेने के आरोप की धाराओं के तहत मामला पंजीबद्ध कर लिया है।
सितंबर माह में बुंदेलखंड में यह चौथी कार्रवाई की गई है, इससे पहले टीकमगढ़ व दमोह में दो एएसआई, एक
रोजगार सहायक के बाद सीएमओ को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है। इतनी कार्रवाई के बाद भी प्रशासनिक
तंत्र बगैर रिश्वत के काम नहीं कर रहा है, इसका मुख्य कारण यह है कि लोग अपना काम बनाने के लिए रिश्वत देते हैं, जिसका सबसे ज्यादा चलन टीकमगढ़ व छतरपुर में है। यहां लोगों द्वारा शिकायतें दर्ज न कराए जाने से छोटे से छोटे काम के एक लाख रुपए रिश्वत के रूप में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा लिए जा रहे हैं।
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