देवबन्दी आलिम मुफ्ती अशद कासमी ने कहा की जावेद अख्तर जो मांग कर रहे हैं, यह पहले पहले भी होती आई है। देश के लोगों को इनपर ध्यान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंजान से मुसलमानों को मालूम हो जाता है कि नमाज का वक्त हो गया है। मुसलमान अपनी इबादत में लग जाते हैं। आज़ान मात्र चंद मिनटों की होती है। इससे किसी को कोई एतराज और परहेज़ नहीं होना चाहिए। हिंदुस्तान का संविधान भी इसकी इजाजत देता है।
उन्होंने कहा कि हर इंसान को अपने मजहब पर अमल करने की पूरी आजादी है। जब हमारे हिंदुस्तान का संविधान हमें इजाजत को बोलना नहीं चाहिए। संविधान और इस्लाम की शरीयत की मुखालफत करना छोड़ दे। इस तरह की बयानबाजी सुर्खियों में रहने के लिए कुछ लोग करते हैं। जावेद अख्तर को यह मालूम होना चाहिए कि इस समय देश के हालात खराब है। पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ रही है। इस पवित्र महीने के अंदर और कुराने पाक की बरकत के चलते मुसलमान दुआ कर रहे हैं कि कोरोना बीमारी का खात्मा करें। ये हालात जावेद अख्तर जैसे लोगों को अपने आप को चमकाने के लिए नहीं है।