scriptनए साल के विरोध के लिए हिन्दू-मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मिलाया हाथ | Hindu-Muslim spiritual leaders join hand and issue advice for people | Patrika News
सहारनपुर

नए साल के विरोध के लिए हिन्दू-मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मिलाया हाथ

मजहब के नाम पर लड़ने वाले हिन्दू-मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मिलाया हाथ, सुनाया ये फरमान

सहारनपुरDec 19, 2017 / 06:17 pm

Iftekhar

molvi
सहारनपुर. हिन्दू और मुस्लिम धर्म गुरु मंदिर और मस्जिद के नाम पर भले ही लड़ते दिखाई देते हों। लेकिन, भारतीय और इस्लामी संसकृति को बचाने के लिए दोनों ही धर्म के धर्म गुरुओं ने हाथ मिला लिया है। हिन्दू और मुस्लिम धर्म गुरुओं ने एक जनवरी को अंग्रेजी कैलेंडर के नए वर्ष पर जश्न मनाने को गलत बताया है। दोनों ही धर्मों के धर्म गुरुओं ने साफ शब्दों में कहा है कि ऐसी परम्पराओं से देश के युवाओं को दूर रहना चाहिए। एक जनवरी को नए वर्ष की मुबारकबाद देना व जशन मनाने को हिन्दू व मुस्लिम धर्मगुरुओं ने गलत बताते हुए कहा कि ये अंग्रेजों का त्योहार है। हमारे देश के लोगों को इसको नहीं मनाना चाहिए। नए साल को उत्सव के रूप में मनाने वाले युवा वर्ग इन धर्म गुरुओं को कितना मानते हैं। यह तो कहना मुश्किल है। लेकिन, अगर लोगों ने इन धर्म गुरुओं की सलाह को मानलिया तो देश के बड़े-बड़े महानगरों में इस दिन करोड़ों की इनकम करने वाले लोगों को भारी नुकसान हो सकता है।
 

नए साल पर एक दूसरे को मुबारकबाद देने को गलत बताते हुए पंडित सतेंद्र शर्मा ने कहा कि हिन्दू शास्त्रो में मार्च में प्रथम नवरात्रे को हिन्दू नव वर्ष का आरम्भ होता है। हमें उसी दिन नववर्ष मनाना चाहिए और सरकारी तौर पर भी हमारे देश में इसी दिन से नए सत्र का आगाज होता है। उन्होंने कहा कि हमारे युवाओ को इस परंपरा की जनकारी होनी चाहिए और यह जिम्मेदारी परिजनों की बनती है कि वह अपने बच्चों को भारतीय संस्कृती की जानकारी दें, ताकि हमारे बच्चे अंग्रेजो की परंपरा मनाने से बच सके। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे एक जनवरी को न तो एक दूसरे को नववर्ष की मुबारकबाद दें और न ही कोई जशन मनाए।
एक जनवरी को नए वर्ष की मुबारक़बाद व जशन मनाने को लेकर देवबन्द के एक आलिम मुफ़्ती तारिक कासमी ने भी साफ लफ्जों में कहा कि इस्लाम में एक जनवरी को नए साल का जशन व मुबारक़बाद देना जायज नहीं है। उन्होंने कहा कि इस्लाम में तो जन्मदिन मनाना, केक काटना भी जायज नही है। इस लिए, जो इस्लाम धर्म से संबंध रखते हैं। उन्हें इस तरह की परम्पराओं से परहेज रखना चाहिए। इस्लाम धर्म में इस चीज की इजाजत बिल्कुल नहीं है।

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