बता दें कि जून 2019 में एक जूनियर इंजीनियर ने जिला प्रशासन को जानकारी देते हुए बताया था कि दारुल उलूम देवबंद के परिसर में बन रही विशालकाय लाइब्रेरी की छत पर हेलीपैड का निर्माण किया जा रहा है। जानकारी मिलते ही एसडीएम ने 26 जून और 4 जुलाई 2019 को दारुल उलूम प्रशासन नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया। नोटिस के जरिये दारुल उलूम प्रशासन से पूछा गया कि लाइब्रेरी का भवन बनाने की अनुमति किससे ली गई है और उसकी छत पर हेलीपैड बनाया जा रहा है या नहीं, इसकी जानकारी दी जाए।
इसके बाद 4 अगस्त को जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय पुलिस अधीक्षक दिनेश पी कुमार पुलिस फोर्स और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ दारुल उलूम देवबंद पहुंचे। जहां उन्होंने सबसे पहले लाइब्रेरी की विस्तार से जांच की। इसके साथ ही शिकायत के आधार पर न केवल दारूल उलूम लाइब्रेरी, बल्कि अन्य कई भवनों की भी जांच की। उस दौरान पाया गया कि लाइब्रेरी का निर्माण बगैर प्रशासन की अनुमति के जा रहा था। वहीं लाइब्रेरी की छत पर हेलीपैड बनाने को लोकर पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता ताराचंद को टेक्नीकल रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा था। बता दें कि अब अधिशासी अभियंता ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है।
टेक्नीकल रिपोर्ट में अधिशासी अभियंता ने बताया है कि प्रशासन की अनुमति के बगैर ही दारुल उलूम परिसर में लाइब्रेरी बनाई जा रही है। इसके अलावा लाइब्रेरी में मानकों के विपरीत जाकर कई हॉल भी बनाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लाइब्रेरी की तरह ही उसकी छत भी बहुत बड़ी है। इसके साथ ही लाइब्रेरी की छत में जिस बिल्डिंग मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है, वह काफी मजबूत है। इसलिए उस पर आसानी से हेलीकॉप्टर भी उतारा जा सकता है। अधिशासी अभियंता ने कई अन्य बिंदुओं पर भी अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंपी है।
वहीं इस पूरे मामले में सहारनपुर जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय का कहना है कि अधिशासी अभियंता ने रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट से पुष्टि हुई है कि लाइब्रेरी के साथ ही उसमें बनाए गए हॉल मानकों के विपरीत हैं। उनका कहना है कि रिपोर्ट में बताया गया है कि छत पर हेलीकॉप्टर भी उतारा जा सकता है। अब इस मामले में दारुल उलूम प्रशासन से जवाब तलब किया जाएगा।