सहारनपुर। आज पूरा देश शहीद-ए-आजम भगत सिंह ( Bhagat Singh ) का 113वां जन्मदिन मना रहा है। शहीद-ए-आजम की शहादत काे याद किया जा रहा है और उन्हे नमन किया जा रहा है। ऐसे में खुद भगत सिंह के घर पर उनका जन्मदिन कैसे मनाया जाता है ? यह जानने के लिए हम उनके सहारनपुर स्थित घर पहुंचे। यहां हमें भगत सिंह के भतीजे किरणजीत सिंह संधु मिले।
शहर के बीचाें-बीच पॉश कालाेनी में घर हाेने के बावजूद उनके घर के आंगन में गांव की झलक दिखाई देती है। लंबे-चाैड़े आंगन में ट्रैक्टर और खेती करने के कुछ यंत्र हैं। काेई खास चहल-पहल नहीं है और घर का दरवाजा भी खुला है। यहां हमारी मुलाकाता भगत सिंह के भतीजे से हाेती है। वह कहते हैं कि, आज भगत सिंह जी का 113वां जन्मदिन है। यह दिन उनके सर्वाेच्च बलिदान की याद दिलाता है। आज का दिन यह भी याद दिलाता है कि कैसे वह हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़े और उन्हाेंने युवा पीढ़ी काे एक प्रेरणा दी।
इसी बीच वह कहते हैं कि, आज का दिन भगत सिंह जी के अधूरे सपनों की भी याद दिलाता है। भगत सिंह ने एक बराबरी वाले समाज की कल्पना की थी, जिस सुनहरे भविष्य की कल्पना करते हुए उन्हाेंने और उनके साथियों ने शहादत दी थी वह अभी अधूरा है। इसलिए आज का दिन संकल्प लेने का दिन है। किरणजीत संधु ने यह भी कहा कि देश वर्तमान में देश के हालात बहुत अच्छे नहीं हैं। किसान परेशान हैं और जवान पीढ़ी बेराेजगार है। जब तक इन समस्याओं का समाधान नहीं हाेगा तब तक उनका बलिदान व्यर्थ ही माना जाएगा क्योंकि उन्होंने एक खुशहाल भारत का सपना देखा था जाे भी अधूरा है।
कृषि बिल का भी किया विराेध शहीद-ए-आजम भगत सिंह के भतीजे किरणजीत संधु ने कृषि बिल का भी विराेध किया है। उन्हाेंने कहा है कि यह बिल किसानाें काे बर्बाद कर देगा। 113वें जन्मदिन पर उनकी तीसरी पीढ़ी का दर्द भी झलका। किरणजीत सिंह संधु ने कहा कि शहीद-ए-आजम ने हंसते-हंसते देश के लिए फांसी के फंदे काे चूमा था। आज तक उन्हे और उनके साथियों काे वाे दर्जा सरकार की ओर से नहीं मिला है जाे मिलना चाहिए था। उन्हाेंने शहीद-आजम-भगत सिंह के जन्मदिन पर सरकारी अवकाश घाेषित किए जाने की मांग की है।
पाकिस्तान के लायलपुर में हुआ था भगत सिंह का जन्म भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में लायलपुर जिले में हुआ था। आज भी बहुत कम लाेग जानते हैं यह स्थान वर्तमान में पाकिस्तान में है। अब पाकिस्तान ने इस जिले का नाम बदलकर फैसलाबाद कर दिया है। पाकिस्तान में भी शहीद-ए-आजम का स्मारक बना हुआ है और पाकिस्तान में भी उनका जन्मदिन मनाया जाता है।
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