कलेक्टर ने पकड़ा गड़बड़झाला संभागायुक्त से जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर ने जब शस्त्र शाखा के दस्तावेज देखे और अपने हस्ताक्षर से भेजे प्रस्तावों के नंबर देखे तो वे चौंक गए। उन्होंने पाया कि अभी तक जिस डिस्पैच नंबर की सीरीज पर उन्होंने हस्ताक्षर किए हैं संबंधित नंबर उससे मेल नहीं खाता है। सूत्रों की मानें तो जो डिस्पैच नंबर का प्रस्ताव संभागायुक्त को भेजा गया है उसका मूल पत्र जम्मू कश्मीर के डोडा जिले के डीएम और भोपाल के लिए भेजा गया है। यहां किसी ने फर्जी डिस्पैच नंबर डालकर फर्जी तरीके से प्रस्ताव नये शस्त्र लाइसेंस के लिये संभागायुक्त के पास भेज दिया है।
पूरे खेल में एक ही नाम
इस पूरे फर्जीवाड़े में अब तक के शस्त्र लाइसेंस की जांच रुकवाने में जिसकी भूमिका रही है उसके और उससे जुड़े लोगों की सहभागिता है। इनके द्वारा तत्कालीन लिपिकीय स्टाफ को मिला कर फर्जी दस्तावेज और फर्जी डिस्पैच नंबर से इस तरह के खेल किए जा रहे हैं। अभी तक संबंधितों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से उनके हौसले बुलंद है। इन्हें अक्सर कलेक्टे्रट परिसर और शस्त्र शाका में मंडराते देखा जाता है और लिपिकीय स्टाफ को अपनी कथित आला अधिकारियों की पहुंच का हवाला देकर धमकाया भी जाता है।
दो माह से चल रहा था फर्जीवाड़ा मामले में कलेक्टर सतेन्द्र सिंह ने बताया कि पिछले दो माह से ऐसी फाइलें रीवा जा रही थी। ये सभी फाइलें अप्रैल के पहले की हैं। सभी पुराने कलेक्टरों की रिकमंडेशन की है। इनमें से कुछ ऐसे प्रस्ताव भी है जिनमें दो कलेक्टर बदल चुके हैं। पुलिस अधीक्षक बदल चुके हैं। इसकी शिकायत मिलने पर शस्त्र शाखा का औचक निरीक्षण किया गया है। दस्तावेजों का रखरखाव सही नहीं दिखा, जिस पर अलमारियों को सीलबंद कराया गया है। आगे इस मामले में निर्णय लिया जाएगा।