रीवा। लाखों रुपए खर्च कर इंजीनियरिंग पास युवा शनिवार को असहाय दिखे। वे रेलवे में सफाईकर्मी बनने के लिए दिनभर कतार में लगे रहे। यह नौकरी रेलवे योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि रेल लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण के बदले रहा है। चतुर्थ श्रेणी का यह पद पाने के लिए 500 से ज्यादा अभ्यर्थी पहुंचे।
इसमें २० से ज्यादा इंजीनियरिंग किए हुए थे। दस्तावेज सत्यापन के लिए रेलवे स्टेशन में शिविर आयोजित किया था। हालांकि भीड़ अधिक होने के कारण 50 फीसदी का ही दस्तावेज सत्यापन हो पाया। अन्य को शाम को खदेड़ दिया गया। दरअसल, रीवा-सिंगरौली रेललाइन के लिए रेलवे ने जमीन अधिग्रहीत की है।
पात्र हितग्राहियों के अभिलेख सत्यापन इसके बदले परिवार के एक सदस्य को चतुर्थ श्रेणी की रेलवे नौकरी दे रहा है। 2010 में प्रकाशित अधिसूचना के आधार पर पात्र हितग्राहियों के अभिलेख सत्यापन के लिए पश्चिम मध्य रेलवे ने रीवा, सीधी, सिंगरौली के 25 गांवों के 500 अभ्यर्थियों को एक दिवसीय शिविर में बुलाया था। अभिलेखों का सत्यापन होने के बाद रेलवे की स्कैनिंग कमेटी परीक्षण करेगी। इसके बाद सभी अभ्यर्थियों को तीन से चार माह में नियुक्ति आदेश जारी होगा।
लग्जरी गाडिय़ों में आए रेलवे में नौकरी के लिए आए अभ्यर्थियों में बड़ी संख्या में पीजी एवं इंजीनियरिंग पास शामिल थे। महिलाएं भी मुसीबत की कतार में लगी रहीं। कई अभ्यर्थी तो लग्जरी गाडिय़ों से सत्यापन कराने पहुंचे।
शिविर में अव्यवस्था पमरे द्वारा लगाए गए शिविर में अव्यवस्था के कारण अभ्यर्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। पीने के लिए पानी एवं बैठने तक की व्यवस्था नहीं की गई थी। लाउडस्पीकर नहीं होने के कारण बहुत से अभ्यर्थी अपना नाम तक नहीं सुन पाए।
25 गांवों से 500 अभ्यर्थियों को बुलाया गया है। 20 बीई पास हैं। नियम अनुसार चतुर्थ श्रेणी में ही उनकी नियुक्ति की जानी है। दीपावली बाद फिर से शिविर लगाकर सत्यापन किया जाएगा। पुष्पेन्द्र सिंह, कार्मिक अधिकारी, पश्चिम मध्य रेलवे
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