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सतनाः रिटर्निंग अधिकारियों की मिलीभगत से चुनाव में फर्जी बिलों का खेल; 55 लाख का गड़बड़झाला

जो काम किया नहीं रिटर्निंग ऑफीसरों ने उसका भी कर दिया सत्यापन
टेंट हाउस संबंधी कामों में वेंडर ने आरओ की मिलीभगत से रची साजिश
 

सतनाFeb 16, 2024 / 12:06 pm

Ramashankar Sharma

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सतना। विधानसभा चुनाव में फर्जी बिलों के जरिए बड़े भुगतान की साजिश पकड़ में आई है। चुनाव के दौरान टेंट हाउस से संबंधित जो भी काम हुए थे, उनके भुगतान के लिए वेंडर ने 50 से 55 लाख रुपए के फर्जी बिल लगाए हैं। फर्जीवाड़ा ऐसा कि एक ही काम के लिए दो-दो वेंडरों ने अपने बिल प्रस्तुत कर दिए। सात विधानसभाओं में टेंट हाउस का खर्चा लगभग सवा करोड़ दिखाते हुए राशि की डिमांड की गई है। स्थिति यहां तक है कि जो काम कहा भी नहीं गया था उसका भी बिल बनाया गया है। इन बिलों को ज्यादातर रिटर्निंग ऑफिसर ने सत्यापित भी कर दिया है। दरअसल, विधानसभा चुनावों में किए गए कामों के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। इसमें अब अलग-अलग कामों के वेंडर अपने बिल लगाने प्रारंभ कर दिए हैं। टेंट हाउस का जो बिल लगाया गया है उसमें बड़ा गड़बड़झाला मिला है। आरओ की भी भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि उन्होंने बिना विस्तृत परीक्षण किए ही बिल सत्यापित कर अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं। मामले में सबसे ज्यादा खेल तिवारी टेंट हाउस के बिलों में हुआ है। पूर्व में भी इसके द्वारा भोजन वितरण के दौरान ऐसा किया जाता रहा है। तब स्थिति को देखते हुए इन्हें भोजन के काम से अलग कर दूसरों को काम दिया गया था। तब खाद्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हुए थे और इसका नोडल अधिकारी महिला बाल विकास विभाग को बनाया गया था।
ऐसे समझें फर्जी बिलों का खेल

विधानसभा चुनाव के वक्त ईवीएम सुरक्षा का पूरा काम सतना टेंट हाउस को दिया गया था। लेकिन, तिवारी टेंट हाउस ने निर्वाचन शाखा के लिपिक की मदद से नागौद विधानसभा का आर्डर अपने नाम करा लिया। इसी के सहारे 15 लाख रुपए का खेल कर दिया। सतना टेंट हाउस ने छह विधानसभाओं की ईवीएम सुरक्षा के लिए यहां प्रत्याशियों के लोगों के रुकने के लिए पंडाल तैयार किया, साथ ही अन्य इंतजाम सहित कारपेट, रजाई गद्दे आदि की व्यवस्था की। इसके लिए 18 नवंबर से 3 दिसंबर तक का कुल बिल लगभग 5 लाख का प्रस्तुत किया। दूसरी ओर तिवारी टेंट हाउस ने महज एक विधानसभा नागौद के लिए लगभग 15 लाख रुपए का बिल प्रस्तुत किया है। जबकि विभाग के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इसके द्वारा यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। रामपुर बाघेलान का आर्डर भी तिवारी टेंट हाउस को नहीं था, लेकिन यहां के आरओ ने भी सत्यापन कर दिया है।
जितना क्षेत्र उपलब्ध नहीं, उससे ज्यादा कारपेट बिछा दी

बिल में फर्जीवाड़े का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तिवारी टेंट हाउस ने उपलब्ध क्षेत्र से ज्यादा एरिया में कारपेट बिछाना दिखाते हुए बिल लगा दिया है। मसलन सतना विधानसभा के लिए उपलब्ध क्षेत्र 20 हजार वर्ग फीट का था, यहां पर 40 हजार वर्ग फीट से ज्यादा में कारपेट बिछाना दिखा दिया। इसी तरह से चित्रकूट विधानसभा के लिए उपलब्ध क्षेत्र 18 हजार वर्ग फीट का था, लेकिन यहां पर भी लगभग 40 हजार वर्ग फीट में कारपेट बिछाने का बिल लगा दिया गया। वह भी तीन दिन के लिए।
जनरेटर लगे थे दो, हर विधानसभा में दिखाया

चुनाव के दौरान पंडाल का काम तिवारी टेंट हाउस के पास था। व्यंकट क्रमांक एक में सभी को पता है कि दो जनरेटर लगाए गए थेे। तिवारी टेंट हाउस ने सभी विधानसभाओं के लिए एक-एक जनरेटर लगाना दिखाया है। जितनी मर्करी कुल लगाई गईं थीं, उतनी एक-एक विधानसभा में लगाना दिखाया गया है। चौंकाने वाला तथ्य यह कि ज्यादातर कामों का सत्यापन आरओ स्तर पर कर दिया गया है। कमीशनिंग के दिन कहीं भी माइक नजर नहीं आ रहा था, लेकिन टेंट हाउस ने सभी विधानसभाओं में दो-दो माइक सेट लगाना दिखाया है।
जो कलेक्टर ने मना किया, उसका भी बिल

चुनाव के वक्त जब टेंट हाउस का काम चल रहा था, उस दौरान निरीक्षण के वक्त कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने स्पष्ट तौर पर डोम पंडाल लगाने को मना किया था। यह भी कहा था कि इसका भुगतान नहीं किया जाएगा, लेकिन बिल में इसका भी खर्चा दिखा दिया गया है।
स्टेशनरी में भी खेल

स्टेशनरी में भी बड़े खेल की आशंका जताई जा रही है। जानकारों की मानें तो 2018 में जब स्टेशनरी के रेट इस बार से ज्यादा थे, तब कुल 27 लाख का बिल बना था। इस बार जब रेट कम थे, तो बिल 33 लाख से ऊपर का बना है।
मामला हमारे संज्ञान में है। सभी आरओ को नोटिस दिया जा रहा है। आरओ का पुन: सत्यापन कराया जाएगा। बिलों का भी पुन: परीक्षण किया जा रहा है। फर्जी बिल प्रस्तुत किए जाने पर कार्रवाई भी की जाएगी – ऋषि पवार, उप जिला निर्वाचन अधिकारी

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