मेट प्रशिक्षण में मनरेगा के तहत औसत दैनिक मजदूरी दर को बढ़ाने,, अधिकाधिक महिला मेटों का नियोजन करने, कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने, कार्य के तकनीकी पक्ष को सुदृढ़ करने, स्थाई परिसंपत्तियों का सुदृढ़ीकरण करने का प्रशिक्षण दिया जाना था लेकिन महिला मेटों को यह प्रशिक्षण नहीं दिया गया।
मनरेगा में प्रदेशभर में महिला मेट में सिरोही जिला 47.44 प्रतिशत के साथ पहले नम्बर पर पहुंच गया है। अधिकारियों के अनुसार जब से मनरेगा योजना का महिला मेट का रिकॉर्ड ऑनलाइन होने लगा है, तब से सिरोही जिला प्रदेश में पहले पायदान पर है।
महिला मेट के मामले में जहां सिरोही नम्बर वन पर है तो पाली 35.82 प्रतिशत के साथ दूसरे नम्बर पर काबिज है। तीसरे स्थान पर राजसमंद, चौथे नम्बर पर श्रीगंगानगर, पांचवें पर कोटा, छठे पर बारां, सातवें पर जालोर, आठवें पर डूंगरपुर, नौंवें पर भीलवाड़ा व दसवें स्थान पर झालावाड़ है, जबकि 10.56 प्रतिशत के साथ सवाईमाधोपुर जिला अंतिम पायदान पर है।
50 प्रतिशत होना चाहिए मेट
नियमानुसार महिला मेट की संख्या 50 प्रतिशत होनी चाहिए। लेकिन जागरूकता व योग्यता के अभाव में महिलाएं आगे नहीं बढ़ रही है। हालांकि महिलाओं को मनरेगा में रोजगार मिल रहा है लेकिन महिला मेट के लिए जरूरी योग्यताएं नहीं है। ऐसे में कम ही महिलाएं मेट बन पाई है।
जिले में महिलाओं के आठवीं पास नहीं होने व प्रशिक्षण नहीं मिलने से महिला मेट का प्रतिशत 10.56 ही रहा है। अब जिले से करीब 2800 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। ऐसे में महिला मेट प्रतिशत को सुधारने की कोशिश की जा रही है।
हरिसिंह मीणा, अधिशासी अभियंता, मनरेगा, सवाईमाधोपुर