शोधकर्ताओं ने चूजों को जीवन के पहले 24 घंटों के लिए चिकनी और ऊबड़-खाबड़ वस्तुओं के संपर्क में रखा गया, जो उनका पहला स्पर्श था। लेकिन जैसे ही इन चूजों को पहली बार प्रकाश में लाया गया, तो जिन चूजों ने चिकनी वस्तुओं को स्पर्श किया था, वे उनके करीब पहुंचे, जबकि ऊबड़-खाबड़ वस्तुओं को छूने वाले चूजे ऐसी वस्तुओं के ही करीब गए। इससे शोधकर्ताओं ने पाया कि चूजे बिना किसी पूर्व दृश्य अनुभव के भी स्पर्श को दृष्टि से जोड़ सकते हैं। डॉ. वर्साचे ने कहा, यह ख्चाोज पारंपरिक सिद्धांतों का खंडन करती है। इससे पता चलता है कि हमारा दिमाग अलग-अलग इंद्रियों के बीच संबंध बनाने के लिए पहले से ही तैयार है। इससे यह समझ भी विकसित होती है कि हमारी इंद्रियां कैसे विकसित होती हैं और हमारे आसपास की दुनिया के साथ कैसे संवाद करती हैं?