दरअसल, ये रोबोट दांतों पर जमा होनी वाली पीले रंग की परत यानी प्लॉक की भी सफाई बिना कोई नुकसान पहुंचाए करने में सक्षम हैं। विज्ञानिकों ने दो तरह से रोबोट बनाए हैं। जिसमें एक को काम करने के लिए बनाया गया है। वहीं दूसरे रोबोट को भीतर तक आसानी से जा सके। इन सबकी मदद से दांतों में जमा हुआ बॉयोफिल्म को नष्ट कियाल जा सके।
“मिशन शक्ति” से भारत ने दिखाई अपनी ताकत : डीआरडीओ वैज्ञानिकों की माने तो बायोफिल्म नष्ट करने वाली रोबोटिक प्रणाली को अन्य कामों के लिए भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है। चाहें वो पानी के पाइप और कैथेटर को साफ रखना हो, दंतक्षय के जोखिम को कम करना या दंत संक्रमण और दांतों में बाहर से लगाई जाने वाली वस्तु (डेंटल इम्प्लांट)से होने वाली खराबी पर नियंत्रण करता है।
अमेरिका के पेनसिल्वेनिया
यूनिवर्सिटी (
university ) के हुन कू ने बताया कि इस काम में सूक्ष्म जीव विज्ञानियों और क्लीनिशियन-वैज्ञानिकों की मदद ली गई है। साथ ही संभावित सर्वश्रेष्ठ सूक्ष्म जीव संक्रमण उन्मूलन प्रणाली बनाने के लिए इंजीनियरों को भी शामिल किया गया।
वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) बनाने के तीस साल बाद निराश हुए टिम बर्नर्स, गिनाए खतरे गौरतलब है कि एक पत्रिका में प्रकाशित हुए कू ने बताया है कि यह शोध दूसरे जैव चिकित्सीय क्षेत्रों में भी कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि हम उत्तर-एंटीबायोटिक युग में प्रवेश कर रहे हैं।