मंगलवार 10 जुलाई को तेज बारिश के चलते आष्टा की पपनास नदी उफान आ गई थी। आष्टा से मुगली लौट रहा चार पहिया वाहन पपनास नदी पर बने रपटे पर पानी के तेज बहाव में बह गया था। वाहन में मुगली निवासी सजन सिंह (60) पिता जगन्नाथ सिंह, मनोहर सिंह (55), मान सिंह मालवीय (28), ऋषिराज (10) व ऋषिका (13) पिता हरेंद्र सिंह सवार थे। मौके पर मौजूद लोगों ने सर्तकता दिखाते हुए वाहन में सवार सजन सिंह और मान सिंह को बचा लिया था, लेकिन दो मासूम बच्चों सहित तीनों लोगों का मंगलवार रात कुछ पता नहीं चल सका था। सूचना मिलने पर पुलिस-प्रशासन सहित अन्य अमला पहुंच गया था।
नदी पर लगी भीड़
घटना की जानकारी लगते ही पपनास नदी के दोनों किनारे पर सैकड़ों लोगों की भीड़ लग गई थी। शव निकालने के बाद आष्टा सिविल अस्पताल पीएम के लिए लेकर आए तो यहां भी भीड़ जुट गई थी। पीएम के बाद शव परिजन को सौंप दिया।
चक्काजाम से लोगों को हुई परेशानी
इधर रेस्क्यू अभियान चल रहा था तो दूसरी तरफ ग्रामीणों ने शहर के भोपाल नाके पर चक्काजाम कर दिया। उनका कहना था कि पुलिस-प्रशासन रेस्क्यू तो चला रही है, लेकिन इंतजाम के नाम पर कुछ नहीं है। ऐसे में इसमें लगातार देरी होती जा रही है। सूचना मिलने पर एसपी राजेश कुमार चंदेल और पुलिस-प्रशासन मौके पर पहुंचा।
ग्रामीणों से चर्चा कर समझाइश दी कि जितने भी इंतजाम होंगे उनको मौके पर पहुंचाकर जल्द ही वाहन और डूबने वालों को निकाला जाएगा। तब कही जाकर उनका गुस्सा शांत हुआ और चक्काजाम समाप्त किया। इधर चक्काजाम पुराने हाइवे पर यातायात प्रभावित हुआ, जिससे आवाजाही करने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
सुबह ग्रामीणों के सहयोग से शुरू हुआ रेस्क्यू
बुधवार को फिर एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर फोर्स), एनडीआरएफ (नेशनल डिजास्टर फोर्स) आदि टीम ने ग्रामीणों के सहयोग से रेस्क्यू काम शुरू किया। तलाशी के दौरान पपनास नदी के रपटे से करीब आधा किमी दूर एक कुएं में चार पहिया वाहन जैसी कोई बड़ी वस्तु पड़े होने का पता चला।
दूसरी तरफ वाहन में सवार तीनों लोगों का कोई पता नहीं लग सका था। वाहन में शव होने की शंका पर टीम ने अपने स्तर से ही वाहन निकालने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। इसके बाद जेसीबी बुलाकर उसमें तार बांधकर कुएं में मौजूद वाहन को खींचना शुरू किया। दोपहर तीन बजे के करीब यह वाहन निकला। वाहन निकालने के बाद जब उसके अंदर देखा तो तीनों लोगों मनोहर ङ्क्षसह, ऋषिराज और ऋषिका की मौत हो चुकी थी।
दादा के साथ पोता-पोती चले गए छोड़कर
जिस घर में रोजाना बच्चों के हसंने, खेलने की आवाज सुनाई देती थे, वह अब वीरान सा हो गया है। मुगली में मनोहर सिंह और पत्नी सोदरा बाई अपने पुत्र हरेन्द्र, पुत्र बधु अनिता के साथ निवास करता है। हरेन्द्र के दो बच्चे ऋषिराज और ऋषिका हैं। मंगलवार को मनोहर अपने बड़े भाई सजन सिंह और दोनों पोता-पोतियों के साथ आष्टा किसी काम से गया था। उनके साथ मान सिंह मालवीय भी था।
बताया जाता है कि मंगलवार को सभी काम निपटाकर आष्टा से वापस अपने गांव मुगली जा रहे थे। रास्ते में हादसे में मानसिंह और बड़ा भाई सजन सिंह को तो लोगों ने बचा लिया, लेकिन दादा मनोहर और उसके दोनों पोता-पोता-पोती ऋषिराज और ऋषिका के नदी से शव ही मिल सके। हादसे के बाद से हरेंद्र और उनकी पत्नी बिखलते हुए यही कह रहे थे कि अब किसको तैयार कर स्कूल भेजेंगे। हरेंद्र कभी पिता से बात करने का प्रयास कर रहा था तो कभी बेटे और बेटी से।
रेस्क्यू अभियान चलाकर वाहन और तीनों शव को बाहर निकाल लिया है। पीएम के लिए सिविल अस्पताल लेकर आए थे। चक्काजाम की बात है तो कई लोग हवाई जहाज बुलाने की मांग रहे थे। जिससे कि वाहन और उसमें सवार लोगों का पता चल सकें।
पुष्पेंद्र निगम, तहसीलदार आष्टा
शासन के नियम अनुसार डूबने से मौत पर चार लाख रुपए राशि देने का प्रावधान है। इसके तहत आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने पटवारी को प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए हैं। जिससे कि मृतक के परिजन को जल्द सहायता मिल सकें।
आरआर पांडे, एसडीएम आष्टा