ग्राम पंचायत कोहका के पूर्व सरपंच राजकिशोर यादव का कहना है कि पेड़ों को पानी देने के लिए लगाए गए ड्रिप नष्ट हो गए, जो अभी भी जगह-जगह दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर पालिका ने नियम विरूद्ध कुछ लोगों को जमीन लीज पर दी है, जो पेड़ जड़ से उखाड़कर गायब कर रहे हैं। ड्रिप भी उन लोगों ने ही नष्ट किया है। खेती करने वाले उड़द व मूंग की फसल में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर रहे, जो तालाब के पानी में घुल रहा है। उन्होंने कहा कि जिस समय तत्कालीन कलेक्टर ने बबरिया तालाब की तस्वीर बदली थी उस समय मैं यहां का सरपंच था। अलग-अलग सेक्टर बनाकर पौधे लगवाए गए थे, जिसकी जिम्मेदारी अलग-अलग लोगों को दी गई थी।
बताया कि मेरे पास सभी सेक्टर की तस्वीर है, जिसमें लगे एक-एक पेड़ गिना जा सकता है। पौधों के पेड़ बन जाने से इस क्षेत्र की तस्वीर बदली है, लेकिन नगर पालिका से यह देखा नहीं जा रहा है। बीते तीन साल से कुछ लोग यहां पर खेती कर रहे है। वे कौन लोग है? ग्राम का कोई व्यक्ति नहीं जानता। एक दिन खेत में काम कर रहे एक व्यक्ति ने ग्रामीण को बताया था कि नगर पालिका के कर्मचारी यहां खेती कराते है। वे लोग ही किसी के नाम पर लीज लिए है। उधर इस संबंध में नगर पालिका सीएमओ आरके कुरवेती ने बताया कि तालाब किनारे की जमीन को तीन लोगों को तीन साल के लिए लीज पर दिया गया है। कितने पैसे और किस लोगों को लीज पर दिया गया है? इस सवाल का जवाब सीएमओ नहीं दे पाए। उनका कहना था कि अभी मुझे याद नहीं है। पेड़ काटने के सवाल पर उनका कहना है कि मौके पर जाकर देखेंगे। बताया कि खेत में कीटनाशक दवा छिड़कने से वह पानी में नहीं मिलता होगा। निरीक्षण के समय हम इसे भी देखेंगे। उन्होंने बुधवार को बबरिया तालाब का निरीक्षण किए जाने की बात कही है।
इनकी वजह से पौधे बने हैं पेड़
तत्कालीन कलेक्टर धनराजू एस जब तक सिवनी में रहे लगातार बबरिया तालाब किनारे लगे पौधों की मॉनिटरिंग करते रहे। उनके बाद तत्कालीन कलेक्टर प्रवीण सिंह ने इसमें रूचि दिखाई। वे और उनके पूर्व रहे तत्कालीन कलेक्टर गोपालचंद डाड व उनके बाद रहे कलेक्टर राहुल हरिदास फटिंग भी तालाब किनारे लगे पेड़ों का निरीक्षण कर चुके है। इसका नतीजा है कि आज ये पौधे पेड़ बने हैं। लेकिन अब लग रहा है कि इन पर किसी की टेढ़ी नजर पड़ गई है।
वर्जन –
तत्कालीन कलेक्टर धनराजू एस के निर्देश पर विशेषज्ञों की टीम ने एक से दूसरे पेड़ की दूरी पांच मीटर रखी थी। बकायदा इसकी नपाई हुई थी। नपाई के समय दर्जनों कर्मचारियों और अधिकारियों की टीम उपस्थित थी। बड़ी मेहनत से पौधे अब पेड़ बने। इनको उजड़ते देखता हूं तो बहुत तकलीफ होती है।
- रामकिशोर यादव, पूर्व सरपंच ग्राम पंचायत कोहका